रुड़की। श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर गंगा किनारा रुड़की में आज शुक्रवार गोवर्द्धन पूजा की गई। जिसमें बड़ी संख्या मंे श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
दीपावली के अगले दिन गोवर्द्धन की पूजा की जाती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपाद तिथि यानी कि दीपावली के एक दिन बाद गोवर्द्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 5 नवंबर 2021 शुक्रवार को मनाया जा रहा है। इस दिन गोबर का गोवर्द्धन बनाया जाता है। इसका खास महत्व होता है। गाय में होता है, सभी देवों का वास। आज ही के दिन सभी गौमाता का पूजन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि गाय देवी लक्ष्मी का स्वरूप है। भगवान श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन इंद्र का अपमान कर गिरिराज पूजन किया था। भारतीय परंपरा में गाय की पूजा का बेहद महत्व है। गाय को मां का दर्जा दिया गया है। पौराणिक मान्यता है कि गाय में सभी देवों का वास होता है। पंचग्व्य, चरणामृत सहित गाय का दूध गोबर सभी कुछ पवित्र माना जाता है। गाय के घी को औषधीय गुणों वाला माना जाता है। अन्नकूट या गोवर्द्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई है। इसमें हिन्दू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्द्धन नाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते है। उसके बाद गिरिराज भगवान (पर्वत) को प्रसन्न करने के लिए उन्हें अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। इस दिन मंदिरों में अन्नकूट किया जाता है। ये है कथा गोवर्द्धन पूजा करने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण इंद्र का अभिमान चूर करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गोवर्द्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की इंद्र से रक्षा की थी। माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने स्वंय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्द्धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया दिया था। तभी से गोवर्द्धन पूजा की प्रथा आज भी कायम है और हर साल गोवर्द्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है। पंडित रामगोपाल पाराशर, अध्यक्ष सुभाष सरीन, प्रमोद जौहर, प्रदीप परुथी, राकेश खन्ना, विजय सेठी, तिलक राज सचदेवा, मोनू सचदेवा, ऋषभ पाराशर, राजकुमारी सरिता गोयल, राजबाला, सूची, मधु आदि उपस्थित रहे।