रुड़की। ( बबलू सैनी )
झबरेड़ा से बसपा प्रत्याशी आदित्य बृजवाल जनता को लगातार गुमराह करने में लगे हुए हैं। उनके पास बसपा पार्टी की वोट के अलावा अपना कोई आधार नहीं है। वह इसलिए कि जब उनके पिता हरिदास विधायक थे, तो कांग्रेस को उनके समर्थन से सरकार बनानी पड़ी थी, ओर यही सरकार उनके कंधों पर चली। इसमें उनके साथ भगवानपुर के कद्दावर नेता और विधायक सुरेंद्र राकेश भी थे, जिनको कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला, तो वही हरिदास एचआरडीए के अध्यक्ष बना दिए गए, लेकिन जब ऐसे मलाईदार विभाग की जिम्मेदारी उन पर थी, तो वह झबरेड़ा क्षेत्र को विकासशील क्षेत्र क्यों नहीं बना पाए? जबकि मंत्री रहते हुए सुरेंद्र राकेश ने भगवानपुर को हरिद्वार के साथ ही प्रदेश में अलग पहचान दिलवाई, लेकिन झबरेड़ा क्षेत्र यहां भी अछूता ही रहा। जनता लगातार उनसे पूछ रही है कि उनके पिता ने जब झबरेड़ा क्षेत्र को गति नहीं दी, तो वह किस मुँह से उनसे वोट मांगने आ रहे हैं। लेकिन आदित्य बृजवाल इसका जनता को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं, न ही उनके पास इसका कोई जवाब है। हरिदास ने अपने कार्यकाल में झबरेड़ा की जिस तरह से अनदेखी की, वह अनदेखी आदित्य बृजवाल को चुनाव में भारी पड़ने वाली है, यह चर्चाएं इसलिए भी जोरों पर चल रही है कि 2017 में विधानसभा चुनाव में जब भागमल बसपा के सिंबल पर चुनाव मैदान में थे ओर हरिदास और उनके बेटे ने भी टिकट को लेकर पूरा जोर लगाया था, लेकिन टिकट कटने के कारण उन्होंने विपक्षी दल का साथ देकर बसपा प्रत्याशी को हराने की पूरी कूटनीति रची थी। यह कूटनीति अब लोगों को समझ में आने लगी है और अब इस कूटनीति का शिकार आदित्य बृजवाल भी हो सकते हैं। क्योंकि यह कहावत भी है कि जो जैसा बोयेगा, उसको वैसा ही काटना पड़ेगा। कुल मिलाकर आदित्य बृजवाल चुनाव से लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। इसका नमूना बसपा सुप्रीमो मायावती की रैली में भी देखने को मिला, जहाँ आदित्य बृजवाल गिने चुने लोगों के साथ ही शामिल हुए थे।
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