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उत्तराखंड देवभूमि मेरी आत्मा में बसा: महामहिम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी

रुड़की। महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि सांस्कृतिक, साहित्यिक, बौद्धिक, भोगोलिक, वैचारिक रुप से उत्तराखण्ड व महाराष्ट्र की परिस्थितियों में काफी समानता पाई जाती हैं। इसलिए यहां आकर अपने गृहराज्य का अभ्यास हुआ। यहां के लोग भी प्रतिकूल परिस्थितियों में संघर्ष करने का हौंसला रखते हैं। उत्तराखण्ड के लोगों में भी प्राकृतिक आपदाओं व समस्याओं से मजबूत इच्छा शक्ति के साथ लड़ने का आत्मविश्वास हैं। राजभवन में महामहिम कोश्यारी ने आज उत्तराखण्ड नागरिक सम्मान समिति के अध्यक्ष व अन्तर्राष्ट्रीय शायर अफजल मंगलौरी के साथ सद्भावना भेंट में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड में जिस प्रकार लोक संस्कृति, कला, पर्वतीय पंरपराओं को वहां के निवासी बचायें हुये हैं, उसी प्रकार महाराष्ट्र के जागरूक, सभ्य और कला प्रेमी अपनी पुरातन संस्कृति व परंपराओं की रक्षा तथा संवर्द्धन में अग्रणीय हैं, जिसका लोहा पूरे विश्व ने माना हैं। महामहिम ने कहा कि उत्तराखण्ड उनकी आत्मा में बसा हैं और वह कहीं भी रहे, अपने स्वर्गलोक देवभूमि को अपने मन के निकट ही पाते हैं। उन्होंने अफजल मंगलौरी को बधाई दी कि उन्होंने उत्तराखण्ड का राज्य गीत भी लिखा और उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व कर पूरे विश्व में अपने राज्य का नाम रोशन किया। दरअसल अफजल मंगलौरी एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुम्बई गये थे, जहां राजभवन मुम्बई में उन्होंने महामहिम राज्यपाल कोश्यारी से मिलकर उत्तराखण्ड के विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की। इस मौके पर देववाणी परोपकार मिशन समाजिक संस्था हरिद्वार के अध्यक्ष ईश्वर सुयाल,  उत्तराखण्ड के वरिष्ठ समाजसेवी नरेश लखेड़ा, आदिल शाकिर, इब्राहिम आदि मौजूद रहे।

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