हरिद्वार। ( बबलू सैनी )
सोमवती अमावस्या स्नान पर्व पर आज लाखों श्रद्धालुओं ने ब्रह्मकुण्ड हरकी पैड़ी समेत गंगा के विभिन्न घाटों पर आस्था की डुबकी लगायी। है। कोरोना काल के बाद ढाई साल बाद हरिद्वार में किसी स्नान पर्व पर इतनी अधिक संख्या में श्रद्धालु देखने को मिली है। सड़कों से लेकर गंगा घाट और फिर पौराणिक ब्रह्मकुंड तक हर जगह सिर्फ लोगों की भीड़ ही भीड़ नजर आयी। ब्रह्मकुंड पर रात 12 बजे से ही गंगा में आस्था की डुबकी लगाने वालों का सैलाब उमड़ पड़ा। ब्रह्म मुहूर्त तक गंगा घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भर गया। हर किसी में गंगा में डुबकी लगाने की होड़ सी मची नजर आयी।


सोमवती अमावस्या स्नान का हिंदुओं में विशेष महत्व माना गया है। यही कारण है कि पहले तो सोमवती अमावस्या और फिर सोमवार को ही वट सावित्री पूजा के साथ शनि अमावस्या होने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ गया। यही कारण है कि देश के कई प्रांतों से आए लाखों श्रद्धालु गंगा तट पर स्नान के लिए पहुंचे। भीड़ का आलम यह था कि स्नान पर्व से एक दिन पूर्व की तीर्थनगरी फुल हो चुकी थी। श्रद्धालुओं सोमवती अमावस्या स्नान करने के पश्चात देव दर्शन किए और दान आदि कर्म भी किए। इसी के साथ अमावस्या होने के कारण पितरों के निमित्त श्राद्ध तर्पण आदि कर्म भी किए।
पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। आज के दिन हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान कर जो व्यक्ति अपने पुरोहितों, ब्राह्मणों को दान इत्यादि करता है, वह उसके पितरों को तो प्राप्त होता ही है, साथ ही उसको भी उसका कई गुना फल मिलता है। यदि कोई आज के दिन गंगा स्नान करने आ नहीं सकता तो वह घर पर ही गंगा जी का ध्यान कर स्नान करें, तो उसे भी वही फल प्राप्त होता है, जो गंगा स्नान करके प्राप्त होता है।
उधर गंगा स्नान का सकुशल सम्पन्न कराने के लिए पुलिस प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए थे। समूची तीर्थनगरी को 16 जोन और 39 सेक्टरों में बांटा गया था। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की गयी थी। इतना ही नहीं यात्रियों को असुविधा ना हो इसके लिए यातायात प्लान भी लागू किया गया था। भारी वाहनों का तीर्थनगरी में प्रवेश एक दिन पूर्व ही कर दिया गया था। बावजूद इसके यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी। जगह-जगह जाम से लोगों को दो-चार होना पड़ा। बैरागी कैंप में भी बेतहाशा भीड़ और वाहनों के कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ी।

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