झबरेड़ा। ( बबलू सैनी ) मानकपुर आदमपुर गांव में 1857 की क्रांति में शहीद हुए फतेह सिंह व उमराव सिंह बाप-बेटा की याद में शुक्रवार को शहीद स्मारक पर शहीदी दिवस मनाया गया। ग्रामीणों ने हवन-यज्ञ कर व उनकी प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान रोहताश आर्य ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के जुल्मों से तंग आकर लाखों लोगों ने अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ी ओर भारत माता की आन-बान-शान के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उसी कड़ी में सहारनपुर जिले में भी गुर्जर ओर अन्य बिरादरी के योद्धाओं ने 1822 ई0 से कुंजा बहादुरपुर से लड़ाई शुरू कर दी थी, जिसका भारी नुकसान यहां की जनता को हुआ और अंग्रेजी शासन के लोग गुर्जर समुदाय से अधिक चिढ़ने लगे थे। मानकपुर के उमराव सिंह गुर्जर ने सन 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध बिगुल बजा दिया था और अपने आप को स्वतंत्र राजा घोषित कर दिया था। परीक्षितगढ़ के राजा कदम सिंह व कठेड़ा (ग्रेटर नोएडा) के राजा उमराव सिंह की तरह ही राजाज्ञाए निकाली थी और मालगुजारी स्वयं वसूलने लगे थे। इससे सहारनपुर जिले के सुरक्षा अधिकारी व प्रबंधक स्पंकी तथा रोबर्टसन काफी नाराज थे। जिन्होंने उमराव सिंह से नाराज होकर गुर्जरों के गांव को टारगेट करना शुरू कर दिया था। इसके बदले में उमराव सिंह ने अपनी सेना और जिले के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर नकुड़ तहसील व थाना में आग लगा दी थी, जिससे कई अंग्रेजी कर्मचारी चोटिल हो गए थे और मारे भी गए थे। इस क्रांति में राजा उमराव सिंह को उनके पिता फतेह सिंह का भी पूरा-पूरा सहयोग रहा। जिससे दोनों पिता-पुत्र ने अंग्रेजी हुकूमत के नाक में दम कर रखा था। नकुड, सरसावा, मंगलौर, पुरकाजी, सांपला, सधोली, बाबूपुर नगली, गधरेडी, लखनौती, मानकपुर, झबरेड़ा आदि क्षेत्र के लोगों ने उमराव सिंह को अपना राजा मानकर उमराव सिंह का सहयोग कर सहारनपुर का प्रशासन ठप कर दिया था। लेकिन चालाक स्पंकी और रोबेर्टसन ने आधुनिक हथियारों का सहारा लेकर जनता पर ताबड़तोड़ हमले किए, जिससे हजारों लोग मारे गए और उनकी जमीनें जप्त कर ली गई। इसके जवाबी हमले उमराव सिंह के नेतृत्व में होते रहे, लेकिन उमराव सिंह भी एक दिन धोखे का शिकार आखिर हो ही गया, एक उनके रिश्तेदार ने ही अंग्रेजी हुकूमत की मदद की और सिडकी गांव के समीप दोनों पिता-पुत्र को रोबेर्टसन की सेना ने गिरफ्तार कर लिया। बुलंदशहर के ब्रिटिश गजेटीयर एवं सहारनपुर ब्रिटिश गजेटियर के अनुसार फतेह सिंह को 27 मई 1857 को सहारनपुर में पुरानी कोतवाली के सामने पीपल के पेड़ पर पफांसी दी गई और उमराव सिंह को चौकी सराय के सामने वाले तिराहे पर 27 मई को ही खुले आसमान में फांसी दी गई। यह ब्रिटिश गजट के साथ-साथ जैन कॉलेज सहारनपुर के पूर्व प्रोफेसर डॉ. के.के. शर्मा ने अपनी रिसर्च में लिखी किताब सहारनपुर सन्दर्भ में भी किया है। डॉक्टर रामपाल ने कहा कि ग्राम मानकपुर आदमपुर में शहीद उमराव सिंह व उनके पिता शहीद फतेह सिंह का स्मारक स्थल शिवचौक के पास निर्माणाधीन है। जिसमें सांसद निधि, जिला पंचायत निधि व अन्य मदों से सहयोग लेकर कार्य चल रहा है। शहीद स्मारक पर प्रत्येक वर्ष 27 मई को उनका शहीदी दिवस मनाया जाता है। शहीदों के नाम से झबरेड़ा थाना के सामने उनकी स्मृति में एक भव्य प्रवेश द्वार भी बनाया गया है। आज भी सन 1857 की क्रांति में मानकपुर आदमपुर का नाम गर्व से लिया जाता है। इस दौरान अनुभव एडवोकेट, राजू प्रधान, राजपाल सिंह, मकर सिंह, संजय, राजीव, चेयरमैन कुलदीप, अशोक कुमार, अंकित, प्रधान रामपाल व प्रदीप चौधरी आदि ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।