रुड़की। ( बबलू सैनी ) अशासकीय विद्यालय प्रबन्धक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र नेगी एडवोकेट ने कहा कि प्रदेश सरकार अशासकीय विद्यालयों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है तथा भर्ती प्रक्रिया के लिये आयोग गठित करने की घोषणा कर प्रबंध तंत्रों के मूल अधिकारों का हनन कर रही हैं।
नेगी आज अशासकीय विद्यालय प्रबन्धक एसोसिएशन की प्रथम जनपदीय बैठक, जिसका आयोजन आर्य कन्या पाठशाला इण्टर कॉलेज रुड़की में किया गया, को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुये कहा कि यदि सरकार ने अशासकीय विद्यालयों में भर्ती के लिये चयन आयोग गठित करने का अपना निर्णय वापस नहीं लिया, तो संगठन प्रत्येक स्तर पर इसका विरोध करेगा और यदि आवश्यकता पड़ी तो, न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया जायेगा। प्रांतीय संरक्षक चन्द्र मोहन पयाल ने प्रबन्ध समिति का कार्यकाल पांच वर्ष करने तथा पंजीकृत समितियों को ट्रस्ट में परिवर्तित कराने की बात रखी। संजय जैन एडवोकेट ने शिक्षकों की चयन प्रक्रिया में अनुभव तथा अन्य प्रमाण पत्रों के अंक बहाल करने तथा साक्षात्कार 5 अंक के स्थान पर पूर्व की भांति 25 अंक का करने की मांग दोहराई। प्रान्तीय महासचिव विमल नेगी ने अशासकीय विद्यालयों में विभागीय हस्तक्षेप करने तथा प्रबंध संचालक नियुक्त करने की अनियमित प्रक्रिया का पुरजोर विरोध किया तथा कहा कि यदि तकनीकी कारणों से किसी विद्यालय में प्रबंध संचालक नियुक्त किया जाना परमावश्यक हो, तो राजकीय के स्थान पर अशासकीय विद्यालय के प्रधानाचार्य को ही प्रबंध संचालक बनाया जाये। जिलाध्यक्ष श्याम सुन्दर अग्रवाल ने अशासकीय विद्यालयों में बढ़ती छात्र संख्या के फलस्वरूप अतिरिक्त पदों का सृजन करने की प्रक्रिया का सरलीकरण करने की मांग की तथा कहा कि निदेशालय द्वारा परीक्षण रिपोर्ट शासन को भेज देने के बाद एक माह की निर्धारित अवधि में पद सृजन शासनादेश अनिवार्य रूप से निर्गत किया जाये। जिला उपाध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार गुप्ता द्वारा वित्त्तविहीन विद्यालयों का आर0टी0ई0 की मान्यता का प्रत्येक तीन वर्ष बाद नवीनीकरण कराने के नाम पर विभाग द्वारा शोषण करने पर आपत्ति जतायी गयी तथा आर0टी0ई0 की प्रथम बार ही स्थायी मान्यता निर्गत करने की मांग की गयी। जिला कोषाध्यक्ष उमेश त्यागी ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती का मुद्दा उठाया तथा कहा की माली, जमादार व चौकीदार के पदों पर स्थायी नियुक्तियां खोली जाये, जबकि चतुर्थ श्रेणी के अन्य पदों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्ति का अधिकार प्रबन्धकों को दिया जाये। नरेन्द्र कुमार अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा जो सुविधाऐं राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को दी जा रही हैं, वही सुविधाऐं अशाकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को भी दी जाये, क्योंकि बच्चे भगवान का रुप हैं और सभी एक समान है। उनके साथ सौतेला व्यवहार करना ठीक नही हैं। राजकुमार चौहान एडवोकेट ने महानिदेशक शिक्षा के अशासकीय विद्यालयों की समीक्षा करने सम्बन्धी आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि समीक्षा का अधिकार प्रबंध तंत्र को है न कि विभाग को। इसरार अहमद एडवोकेट ने तो यहाँ तक कह दिया कि यदि सरकार चयन आयोग गठित करती है, तो प्रबंध तंत्रा अनुदान वापस कर निजी श्रोतों से विद्यालयों का संचालन करेंगे। इस अवसर पर सचिन मित्तल, अनुराग गोयल, प्रधान विजय कुमार, तंजीम अहमद, राजबाला, सोनू चौहान, सोमेन्द्र पंवार, वासुदेव पंत, मोहन चंन्द्र हथेली, अतुल कुमार, रविन्द्र सिंघल, समय सिंह सैनी, विजय कुमार, अमित गोयल, पी.के. जैन, सतेन्द्र तोमर, एनसी कपिल, अमर सिंह, चौ. जसवीर सिंह, अनुपम शर्मा, विनय कुमार, देवेन्द्र कुमार, अंकित कुमार, नरेश चौहान, संजय कुमार, वीके राघव, सत्यबहार राठी, महेन्द्र सिंह, सुरेश कुमार गर्ग, डॉ. दीपक शर्मा, जयचन्द गोयल, आदेश कुमार सैनी, डॉ. मनोज चौधरी आदि मौजूद रहे।