रुड़की। ( बबलू सैनी ) रविवार की देर शाम मंगलौर में कोतवाली के सामने माफिया द्वारा करीब एक दर्जन से भी अधिक आम के हरे पेड़ काट दिये गये थे। सूचना मिलने पर उद्यान व वन विभाग द्वारा उसके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही गई थी तथा अवैध कटान को भी रुकवाया गया था। यह सभी पेड़ सरकार से बिना अनुमति के काटे जा रहे थे। क्योंकि फिलहाल आम की बहार चल रही हैं और इस समय फलदार पेड़ काटना कानूनी जुर्म हैं। इस मामले में उद्यान व वन विभाग द्वारा अलग-अलग कार्रवाई करने की बात कही गई थी। जानकार बतातें है कि इस मामले में दोनों ही विभाग के कर्मियों द्वारा सांठगांठ कर ली गई और केवल 10 से 15 कुंतल की काट-छांट मंगलौर वन विभाग की चौकी पर जान-बूझकर डलवाई गई हैं, जबकि उक्त पेड़ भारी भरकम बताये गये थे और उनकी डाट को ठेकेदार उठाकर ले गया। इस मामले में भी विभाग में फैले भ्रष्टाचार की बू नजर आ रही हैं। मौके से 18 पेड़ कटने की सूचना हैं। इसलिए माल कहां गया, इसकी जांच होनी नितांत आवश्यक हैं। इस संबंध में गढवाल मंडल के अधिकारियों को भी अगवत कराया गया हैं। साथ ही डीएफओ दीपक कुमार को भी सूचना दी गई हैं। लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। माफिया ने जिस स्थान पर इन लकड़ियों को बेचा, उसके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि चोरी का मामला खरीदने वाला भी अपराधी होता हैं। साथ ही जो अधिकारी और कर्मचारी इस मामले में लिप्त हैं, उनके खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए। अब देखने वाली बात यह होगी कि उच्च अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। वहीं रेंजर मयंक गर्ग से जब उक्त पेड़ों की डाट के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि इस मामले की उन्हें जानकारी नहीं हैं और वह स्टाफ से जानकारी लेकर साझा करेंगे। समाचार लिखे जाने तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया मीडिया से जाहिर नहीं की गई। ऐसा प्रतीत होता है कि मामला उजागर होने के बाद इसे दबाने का षडयंत्र रचा जा रहा हैं। अर्थात् चंद सिक्कों के आगे ही खाकी बौनी नजर आ रही हैं।