रुड़की। लोनिवि रुड़की की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहा हैं। आज लोनिवि के कुछ ठेकेदारों ने हंगामा करते हुए बताया कि विभाग द्वारा 13 करोड़ रुपये के टेंडर आज विरोध के बावजूद खोल दिये गये। इसमें सबसे बड़ी बात यह रही कि जो ठेकेदार अधिकारियों से नजदीकी रखते थे, उन्हें ही यह टेंडर मिल पाये। बाकी अन्य को बैरंग लौटना पड़ा। हालांकि जो ठेकेदार मायूष हुये, उन्होंने मौके पर भी हंगामा काटा। ठेकेदारों का कहना है कि विभाग द्वारा टेंडर खोलने की तिथि जान-बूझकर आगे बढ़ाई गई। कमीशनखोरी के चक्कर में इसकी लगातार तिथि बदली गई और जब सेटिंग-गेटिंग हो गई तो शुक्रवार को टेंडर खोल दिये गये। जिनमें पूरी तरह पारदर्शिता नहीं बरती गई। इस संबंध में कई शिकायत कर्ताओं जिलाधिकारी व सरकार में बैठे लोनिवि के मंत्री से भी पत्र भेजकर टेंडर प्रक्रिया में धांधली करने का आरोप लगाया गया। साथ ही कहा कि जबसे यहां नये एक्शन आये हैं, तभी से टेंडरों में जान-बूझकर गोलमाल किया जा रहा हैं। वह भी लाईसेंसी ठेकेदार हैं। लेकिन उन्हें कोई टेंडर नहीं दिया गया। जो विभाग की पोल खोलने के लिए नाकाफी हैं। वहीं इस संबंध में जब लोनिवि के ईई प्रवीण कुमार से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि टेंडर प्रक्रिया नियमों के अनुरुप की गई हैं। महामहिम राष्ट्रपति के हरिद्वार आगमन को लेकर टेंडर खोलने में देरी जरूर हुई, लेकिन इसमें पूरी पारदर्शिता रखी गई। अगर किसी ठेकेदार को इस संबंध मंे ऐतराज हैं तो वह कार्यालय में आकर इसकी पुष्टि कर सकता हैं। बहरहाल कुछ भी हो, लोनिवि अक्सर टेंडर प्रक्रिया को लेकर हमेशा चर्चाओं में रहता हैं और यह भी सही है कि कुछ ठेकेदार अपने उंचे रसूख के चलते टेंडर लेने में कामयाब हो जाते हैं जबकि सीधे-साधे ठेकेदार इस पर अपने को उपेक्षित समझते हैं। कुछ टेंडर प्रक्रियाओं में ऐसा भी है कि जो ठेकेदार निर्माण कार्य का सबसे कम मूल्य निर्धारित कर देता हैं, उसे भी टेंडर मिल जाता हैं।

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