रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) आनन्द स्वरुप आर्य सरस्वती विद्या मन्दिर, रुड़की में भारतीय शिक्षा समिति उत्तराखण्ड़ द्वारा आयोजित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के चतुर्थ दिवस पर वन्दना सत्र में उपस्थित शिक्षकों को सम्बोधित करते हुये प0उ0प्र0 क्षेत्र के मंत्री डाॅ. लक्ष्मण सिंह बिष्ट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर विद्यालयों में बाल केन्द्रित व क्रिया आधारित शिक्षा को अपनाने पर जोर देते हुये अपने शिक्षण कौशल को विकसित करने की नितान्त आवश्यकता है।
डाॅ. बिष्ट ने कहा कि विद्या भारती की शिक्षण पद्धति अभिनव है। पंचपदीय शिक्षण पद्धति से शिक्षण कार्य कराये जाने के अनेकों परिणाम दिखाई पड़ते है। जिस कारण विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालय समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त कर रहे है। कार्यशाला में विद्या भारती उत्तराखण्ड़ के प्रान्त संगठन मंत्री भुवन चन्द्र ने विद्यालयों में आचार्य की भूमिका पर विस्तृत विषय रखा, उन्होने कहा की आचार्य वह है जो स्वयं के आचरण से युक्त शिक्षा प्रदान करने वाले होते है, ऐसे में बालक के शैक्षणिक स्तर के साथ-साथ उसके अन्य क्रियाकलापों पर भी हमारा ध्यान रहना चाहिए। हमारे आचरण व व्यवहार से समाज में विद्यालय का मान बढें, बालकों में श्रद्धा का भाव बढे, और हम स्वयं के विकास हेतु भी समय-समय पर नित नवीन शैक्षिक गतिविधियों को जाने व समझकर अपने कक्षा कक्ष में छात्र-छात्राओं को दें। जिससे हमारे विद्यालयों के छात्र-छात्राएॅ समाज में आगे बढ सके।