रुड़की।  ( बबलू सैनी ) आईआईटी रुड़की संस्थान में उस समय विवाद खड़ा हो गया, जब हॉस्टल की मैस में सप्ताह के दो दिन नॉनवेज भोजन शुरू करने का निर्णय लिया गया। जिसके विरोध में छात्र सामने आ गये और उन्होंने मैस के बाहर धरना शुरू कर दिया। छात्रों का कहना है कि वर्ष 2015 से पहले सभी हॉस्टल वेज थे, पर बाद में आजाद भवन को छोड़कर सभी हॉस्टल को नॉनवेज कर दिया गया। उस समय भी छात्रों ने यह मांग की थी कि कुछ हॉस्टल के मैस को वेज रखा जाये, जिन्हें नॉनवेज से आपत्ति हैं, वह वेज हॉस्टल में रह सकंे। भारी विरोध के बाद केवल एक मात्र आजाद भवन जो कि अकेला ऐसा हॉस्टल बचा था, जहां सिर्फ वेज खाना मिलता था, लेकिन अब आईआईटी प्रबन्धन छात्रों के विरोध के बावूजद भी यहां नॉनवेज खाना बनवा रहा हैं। जिसका छात्र पुरजोर तरीके से विरोध कर रहे हैं। छात्रों ने आईआईटी प्रशासन के इस गलत फैसले के खिलाफ भूखे रहकर धरना-प्रदर्शन किया। साथ ही छात्रों ने डीन ऑफ स्टूडेंट्स वेलफेयर आईआईटी रुडकी से मामले की शिकायत की। वहीं आईआईटी प्रबन्धन का कहना है कि सभी छात्रों को दोनों तरह का खाना खाने की छूट होनी चाहिए। यह समझा दिया गया हैं।
जहां एक ओर आईआईटी रुड़की देश-विदेश में सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता हैं। वहीं भारतीय संस्कृति की आईआईटी में बेहद कमी महसूस हो रही हैं। यहां सभी धर्मों के छात्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं, जिनमें कुछ मांस का सेवन करते हैं तथा कुछ शाकाहारी होते हैं। ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि आईआईटी प्रबन्धन सभी मैस में नॉनवेज खाना क्यों बनवा रहा हैं, यह हिन्दू संस्कृति से खिलवाड़ भी हैं और उन छात्रों के लिए भी परेशानी का सबब हैं, जो शाकाहारी हैं। इस मामले को आईआईटी प्रबन्धन को गम्भीरता से लेना चाहिए। नॉनवेज के लिए अलग मैस होनी चाहिए और वेज के लिए अलग। एक जगह दोनांे का होना एक बड़े मामले को तूल दे सकता हैं। इससे बचने के लिए छात्रों की समस्या का हल करना जरूरी हैं।

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