रुड़की। ( भूपेंद्र सिंह / बबलू सैनी )
जहां एक और भाजपा की लिस्ट जारी हुई है, तो वहीं स्थानीय कार्यकर्ताओं में प्रत्याशी के चयन को लेकर विरोध की सुगबुगाहट भी शुरू होने लगींल। यह आलम एक सीट पर नहीं बल्कि उत्तराखंड की अधिकतर सीटों पर बना हुआ है, जहां कार्यकर्ताओं में बगावत के सुर नजर आने लगे हैं। इसी कड़ी में रुड़की विधानसभा सीट पर भाजपा से टिकट के प्रबल दावेदारों द्वारा विधायक प्रदीप बत्रा को प्रत्याशी बनाए जाने पर दबे मन से ही सही लेकिन अंदर ही अंदर संगठन को कोसते हुए बधाई तो जरूर दी, लेकिन यह बात टिकट के दावेदार नितिन शर्मा नहीं पचा पाए और उन्होंने कल घड़ियाली आंसू बहाते हुए साफ कर दिया कि वह निर्दलीय चुनाव भी लड़ेंगे। अब इस पर सवाल यह उठ रहा है कि उन्होंने एक पोस्ट अपने फेसबुक पर डाली हुई है, जिसमें उन्होंने यह जिक्र किया है कि उन्होंने हिंदू धर्म के लिए एक बड़े मुद्दे का हल निकाला है, जिसमें सालों से चले आ रहे पंचशील मंदिर को कब्जा मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई। अब लोगों में चर्चा यह है कि कहीं नितिन शर्मा का टिकट वहां रह रहे लोगों की हाय के कारण तो नहीं कटा। भले ही चाहे कारण कुछ भी रहा हो लेकिन हाल ही में कई दिनों से जगह-जगह जाकर वोट मांगने वाले नितिन शर्मा अब वास्तव में निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या वह भी किसी मकसद के चलते चुप बैठ जाएंगे। यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा, लेकिन चर्चाओं के चलते यह भी जरूर साबित हो रहा है कि जिस पंचशील मंदिर को उन्होंने कब्जा मुक्त कराया है वहां रहने वाले परिवार की हाय उन्हें जरूर लगी है। क्योंकि मुद्दा सिर्फ मंदिर को कब्जा मुक्त करने का था, जिसे उन्होंने उस परिवार को यहां से सामान समेत निकालकर मुक्त कराया है। यह मुद्दा आप पार्टी ने भी उठाया था, लेकिन वह भी इस परिवार को न्याय दिलाने में कमजोर ही नजर आये।

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