ऋषिकेश/रुड़की ( आयुष गुप्ता ) 
अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी की जांच जारी है। फॉरेंसिक टीम एक बार फिर वनंत्रा रिजॉर्ट पहुंची है। फॉरेंसिक टीम दोबारा यहां पर सबूतों को इकट्ठा करेगी। इससे पहले वनंत्रा रिजॉर्ट को तोड़े जाने से पहले भी फॉरेंसिक टीम ने सबूत इकट्ठे किए थे। एसआईटी प्रभारी डीआईजी पी रेणुका देवी का कहना है कि फॉरेंसिक जांच में इस्तेमाल होने वाले सभी सबूत सुरक्षित हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अंकिता भंडारी उत्तराखंड की बेटी है। इस मामले में शासन-प्रशासन की ओर से कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। वनंत्रा रिजॉर्ट में सभी सबूत सुरक्षित हैं। उन्होंने डीआईजी लेवल के अधिकारियों की एसआईटी गठित की है। उनको विश्वास है कि एसआईटी इस मामले में जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इसके बाद पुलिस दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का काम करेगी।
बता दें, पूरे मामले की जांच अब एसआईटी कर रही है। तीन दिन पूर्व जेसीबी से रिजॉर्ट के मुख्य भाग और अंकिता के कमरे को किसी अज्ञात ने तोड़ दिया था, जिससे ऐसा कहा गया कि अंकिता भंडारी के कमरे को जान बूझकर सबूत मिटाने की मंशा से तोड़ा गया, जिससे कमरे में मिलने वाले साक्ष्य नष्ट हो गए, आज एसआईटी बारीकी से जांच करेगी। इस पूरे मामले में पटवारी की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। घटना के बाद से पटवारी छुट्टी पर है। उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ है। स्थानीय लोग पटवारी और आरोपियों की मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं।
दरअसल अंकिता भंडारी बीजेपी नेता पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे ओर ओबीसी आयोग के उपाध्यक्ष अंकित आर्य के भाई पुलकित आर्य के इसी वनंत्रा रिजॉर्ट में काम करती थी। अंकिता इस रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी। आरोप है कि रिजॉर्ट में गलत गतिविधियां होती थी। अंकिता पर भी जब गलत गतिविधियों में शामिल होने का दबाव डाला गया, तो उसने विरोध किया। इसलिए पुलकित ने उसे रास्ते से हटा दिया। फिलहाल एसआईटी की जांच सही हुई, तो कई अन्य राज से भी पर्दा उठेगा। क्योंकि हत्या से पहले अंकिता भंडारी के साथ ओर क्या हुआ और आरोपियों ने इसके अलावा अन्य क्या-क्या घटनाएं की, उनका भी खुलासा होगा। पुलिस ने चीला नहर से अंकिता का शव बरामद किया था। इसके बाद सीएम के आश्वासन पर परिजनों ने अंकिता का दाह संस्कार किया। वहीं पूर्व राज्यमंत्री पिता विनोद आर्य ओर भाई अंकित आर्य के संरक्षण ने एक बेटी को मौत दे दी। जबकि हत्यारोपी पुलकित के परिजनों को इस बात का कोई गम नही है। वह सिर्फ अपने बेटे को बचाने में लगे हुए है। जनसभाओं ओर भाषणों में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले लोगों के परिवार वाले ही आज बेटियों की जान का दुश्मन बने हुए है। फिलहाल सरकार और संगठन ने पिता-पुत्र को पार्टी और पद से बर्खास्त कर दिया है।

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