रुड़की। शुक्रवार को देहरादून से आई एसआईटी की टीम एक मामले की जांच के सिलसिले में इकबालपुर शुगर मिल पहंुची तथा शनिवार को भी टीम की जांच का कार्य जारी रहा। इस संबंध में जानकारी देते हुए किसान मजदूर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चौ. पदम सिंह भाटी ने बताया कि वर्ष 2008 में इकबालपुर मिल के यूनिट हैड की जिम्मेदारी उमराव सिंह के पास थी तथा फाईनेंस मैनेजर पवन ढींगरा रहे। उस समय चीनी मंदी होने के कारण इकबालपुर मिल प्रबन्धन द्वारा 38 करोड़ रुपये का लोन बैंकों से किसानों के नाम पर लिया गया था। उन्होंने बताया कि जब केंद्र सरकार में मनमोहन सिंह पीएम थे और चीनी मंदी को लेकर मिल मालिक उनसे मिले थे, तब उन्होंने आदेशित किया था कि इस लोन के मामले में गारंटर मिल ही रहेंगे। जब चीनी बिक जायेगी, तो उक्त पैसा प्राथमिकता से जमा करेंगे। इस पर तत्कालीन मिल प्रबन्धन द्वारा किसानों से जमीन की नकल ली गई तथा कुछ ऐसे भी रहे जिनके नाम जमीन नहीं थी, उनके नाम पर भी बैंक से लोन लेकर किसानों के बजाय स्वयं इस्तेमाल कर लिया और इसे जमा ही नहीं किया गया। इस पर बैंक द्वारा सम्बन्धित किसानों को जब नोटिस जारी किये गये, तो यह मामला उनके भी संज्ञान में आया। इस पर उन्होंने मिल मालकिन से भी बात की। लेकिन उन्होंने पैसा जमा नहीं कराया। इसके बाद पदम सिंह भाटी डीजीपी अशोक कुमार से मिले और मामला सत्य पाये जाने पर उन्होंने मिल मालकिन व वर्तमान प्रबन्धन तंत्र के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद यह जांच एसआईटी पर पहंुच गई और इसी संदर्भ में एसआईटी की टीम इकबालपुर मिल में पहंुची। इस दौरान टीम ने प्रबन्धन तंत्र से सम्बन्धित ऑरिजनल दस्तावेज मांगे। इसके साथ ही यह 38 करोड़ रुपये किस खाते में गये, उनके नंबर भी मांगे गये। समाचार लिखे जाने तक एसआईटी की टीम मिल परिसर में अपनी जांच कर रही थी। हमने जब इस संबंध में मिल प्रबन्धन से बात करने का प्रयास किया, तो वह उपलब्ध नहीं हो पाये।

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