कलियर।
कलियर दरगाह की प्रबंध व्यवस्था उत्तराखण्ड गठन से पूर्व यूपी वक्फ बोर्ड एवं अलग प्रदेश गठन होने उपरांत आज तक यहां की बागडोर वक्फ बोर्ड सीईओ/चैयरमेन के हाथ में होने से दरगाह की आय की बन्दर बांट का संज्ञान लेकर 2001-02 में हाइकोर्ट के द्वारा तीन सदस्य रिसीवर पैनल पूर्व जस्टिस इरशाद खान व एक अन्य तथा पठानपूरा रुड़की निवासी हाजी सलीम खान के द्वारा कलियर दरगाह की प्रबंध व्यवस्था का कार्यकाल जनता व अक़ीदद मन्द लोगो में आज भी प्रशंसा व यहां के विकास के युग में पहला कदम बताकर याद करते है। क्योंकि जायरीनों की सुविधाओं के मद्देनजर हाजी सलीम खान ने दरगाह परिसर में सौन्दर्यकरण, वजुहखाने, शेड,जायरीनों की लाइन के लिये गिरिल आदि का पुख्ता निर्माण कराने के साथ साथ दरगाह दफ्तर के सामने भव्य मेहमानखाना, लकड़ी की जगह लंगर खाने में खाना बनाने के लिये बड़ी मात्रा में गैस सिलेंडर व दरगाह में जायरीनों के ठहरने के लिये साबरी गेस्ट हाउस का सौन्दर्यकरण व दरगाह कार्यालय का सौन्दर्यकरण व वीआईपी रम व सोफे डलवाने के पुख्ता कार्य कर यहां आने वाले देश विदेश के आस्थावान जायरीनों का दिल जीतने कार्य किया था। 7वही पनियो की दुकान में अपने बच्चों का पालन पोषण करने वाले स्थानीय लोगो के रोजगार के लिये स्थायी सेकड़ो पक्की मार्किट का निर्माण कर सस्ते रेट पर देने की पहल की थी। जिनको आज की तारीख में कुछ लोग बीस बीस लाख में एक दुकान बेचने का कार्य कर अन्य बिजनेस कर रहे है। इस तरह से हाजी सलीम खान के कार्यकाल में पहली बार दरगाह की वार्षिक आय भी करोड़ो से ऊपर पहुंचाने का काम किया गया। दरगाह सबीरे पाक के अक़ीददत मन्द व आस्थावान श्रद्धालु आज भी उस कार्य काल के कायल बने हुवे है। क्योंकि आज दरगाह के खातों में 50 करोड़ से अधिक होने के उपरांत भी यहां पर कोई विकास कार्य व जनता की भलाई का कार्य नही हो पा रहा है। ऐसे समय में हाजी सलीम खान जैसे व्यक्ति को दरगाह की प्रबंध व्यवस्था बागडोर की मांग फिर से श्रद्धालु व अक़ीददत मन्द लोगो की जुबान पर सुनाई दे रही है।
अल्मोड़
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