रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) दिल्ली विश्वविद्यालय से ज्योतिष में पी.एच.डी करने वाले प्रथम छात्र व राज ज्योतिषी स्व. डाॅ. गोस्वामी गिरिधारी लाल की 34वीं पुण्यतिथि पर सप्तऋषि आश्रम हरिद्वार मंे दो दिवसीय गीता जयंति एंव लाल किताब पर आधारित ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन हुआ। देशभर से वास्तु, पामिस्ट्री, लाल किताब, रमल न्यूमरोलाॅजी आदि विद्याआंे के दिग्गज जुटे।
सम्मेलन का उदघाटन करते हुए दैवज्ञ पं. वेणी माधव गोस्वामी ने कहा कि मानव जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी संस्कारों में ज्योतिष की महती भूमिका होती है। सनातन धर्म के अनुसार संपूर्ण मानव जीवन में घटित होने वाले घटनाएं ज्योतिष पर ही आधारित है। उन्होने कहा कि वैदिक ज्योतिष भारतीय सभ्यता व संस्कृति का अभिन्न अंग है। संपूर्ण ब्रह्मांड की खगोलीय घटनाओं की सटीक जानकारी ज्योतिषियों द्वारा ही की जाती है। ज्योतिष, विज्ञान से कई गुणा आगे चलता है। प्रख्यात ज्योतिषियों द्वारा की गई भविष्यवाणियां सैकड़ों वर्षों बाद भी सत्य साबित होती है। इस मौके पर सम्मेलन में देशभर से आये भिन्न-भिन्न पराविद्याओं से संबंधित एवं वैदिक ज्योतिष के ख्याति प्राप्त विद्वानों ने दो दिनो तक विभिन्न विषयों पर पर मंथन किया। कार्यक्रम संयोजक व पं0 गोस्वामी गिरिधारी लाल फाऊंडेशन ट्रस्ट (रजि0) के अध्यक्ष पं0 रिभुकांत गोस्वामी ने लाल किताब की बाबत बताया कि हिन्दू धर्म में ज्योतिष शास्त्र की भविष्यवाणी के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली किताब को लाल किताब कहा गया है। इसमें व्यक्ति के जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए विशेष उपायों का उल्लेख किया गया है। यह लाल किताब सामुद्रिक और समकालीन ज्योतिष विद्या पर आधारित है जिसे उर्दू और फारसी भाषा में भी लिखा गया है। उन्होने बताया कि भारत में पंजाब प्रान्त में ग्राम फरवाला जिला जालंधर से संबंध रखने वाले पंडित रूपचंद जोशी ने साल 1939 से 1952 के बीच लाल किताब की रचना पांच खंडों में की थी। लाल किताब के संबंध ऐसा कहा जाता है कि जब लाहौर में खुदाई का काम चल रहा था तब वहां से तांबे की पट्टियां मिली जिनपर अरबी और फारसी में कुछ लिखा था। इन्हें पढ़ने के लिए पंडित रूपचंद ने अपने पास रख लिया। पढ़ने के बाद पंडित रूपचंद को ज्ञात हुआ कि इन पट्टियों का संबंध तो ज्योतिष शास्त्र से है। यह जानने के बाद उन्होंने इस किताब को उन्होंने सर्वप्रथम उर्दू में लिखा। एक आर्मी अफसर होने के चलते अपना नाम न प्रयोग करते हुए यह किताब पं0 गिरधारी लाल के नाम से निकली। कार्यक्रम में एस एन मंगल, शिल्पी पाराशर, पंडित रूपचंद के दोहिते राजीव शर्मा, संजय वत्स, ओपी भाटिया, कासिफ के अलावा 105 ज्योतिषियो को ज्योतिष शिरोमणि की उपाधि प्रदान की गई।