रुड़की। ( बबलू सैनी ) श्री कृष्ण प्रणामी गौ सेवा धाम में आयोजित पत्रकार वार्ता में बोलते हुए स्वामी सागर सिंधुराज महाराज ने कहा कि अपने जीवन से संबंधित सब कुछ समाप्त करने के बाद एक सन्यासी बनता है। जिसका निजी कुछ नहीं होता उसका जीवन, ध्यान ज्ञान ही नहीं प्रत्येक श्वास हिंदू समाज के लिए है। हम अपना समस्त मृतक कर्मकांड करने के बाद एक नए परिचय के साथ अपना जीवन और जीवन का प्रत्येक कार्य धर्म की रक्षा एवं उसके संवर्धन के लिए समर्पित करते हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा केवल अत्याधुनिक शस्त्रों के द्वारा ही संभव है और शास्त्र यह विवेक देते हैं कि शस्त्र का प्रयोग कब, क्यों और कैसे करना है। यही हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में हम सभी सन्यासियों ने एक स्वर में कहा भी था। शस्त्र रखने की अनुमति एक प्रक्रिया के अंतर्गत हमें संविधान भी देता है। अपने द्वारा कहे गए एक-एक शब्द पर कायम है तथा इन वाक्यों को कहते हुए न हमें दुख है ना खेद है, बल्कि गर्व होता है कि हमने एक सन्यासी के रुप में अपने कर्तव्य का सही निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि हम लोग यह धर्म संसद प्रतिमाह भारतवर्ष के प्रत्येक राज्य में आयोजित करते रहेंगे। जब तक की धर्म के आधार पर विभक्ति राष्ट्र 1947 के समझौते के अनुसार हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं हो जाता और जब तक प्रत्येक सनातनी अपने धर्म व संस्कृति की रक्षा के प्रति जागृत नहीं हो जाता। यह धर्म संसद अनवरत रुप से जारी रहेगी। यह वार्ता करने का उद्देश्य यही है कि पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही के बावजूद हम किंचित भी भयभीत नहीं है और अपने कर्तव्य पथ पर मजबूती से डटे रहेंगे।