रुड़की/संवादाता
आजकल चलन प्रचलन में है जिसे हम सेल्फीवादी क्रांति या सेवा पे मेवा कह सकते हैं मदद कीजिए, संस्था होने का दावा कीजिए और सेल्फी डालिए।
उद्गम अंब्रेला इन विषम परिस्थितियों में भी जानवरों के लिए उत्तम भाव से काम कर रही है जैसा कि आप इन तस्वीरों में देख ही सकते हैं उद्गम अंब्रेला अमरेला का हर एक वॉलिंटियर जानवरों को फीड करने के लिए तत्पर है वहीं दूसरी तरफ अराजकता फैलाने वाले असामाजिक तत्व सिर्फ व्हाट्सएप्पइया और फ़ेसबुकइया क्रांति में उलझे है, उद्गम अमरेला हेड शौर्य भटनागर ने बताया हमारे ही कुछ लोग हम से अलग होकर नॉन रजिस्टर संस्थाओं का दावा करते हैं और सेवा भाव से काम करने वाली उद्गम जैसी संस्थाओं पर आरोप-प्रत्यारोप करने की कोशिश में लगे रहते हैं, और यह कोई नया नहीं है कहा जाता है जब हाथी चलता है तो जंगल के सारे छोटे-मोटे जानवर देखकर बिलबिलाने की कोशिश करते हैं।
यह बहुत आवश्यक है कोई भी संस्था ज्वाइन करने से पहले आप यह जांच लें कौन सी संस्था कब से काम कर रही है और उसके संस्थापक का इतिहास क्या है, सामाजिक तौर पर यह जानना भी जरूरी है क्योंकि आजकल कुछ असामाजिक तत्व जो कि स्वयं को संस्था होने का दावा करते हैं सिर्फ नेकी और पूछ पूछ काम कर अपना नाम चमकाने की कोशिश करती हैं।
रुड़की में जानवरों की सेवा के नाम पर मेवा खाने के केस पहले भी सामने आ चुके हैं इसीलिए हमें समाज के उन लोगों से बचना है जिनका काम सिर्फ और सिर्फ मेवा खाना है।