रुड़की।
सिविल अस्पताल रुड़की का जबसे सीएमएस डॉ. संजय कंसल ने चार्ज संभाला हैं, तभी से यह अस्पताल लगातार सुर्खियां बटोर रहा हैं। वह भी ऐसी की अगर कोई सुनें, तो सोचने को मजबूर हो जाये। मामला तीन दिन पुराना जरूर हैं, लेकिन रोंगटे खड़े करने वाला हैं। बताया गया है कि एक भिखारी अपनी पत्नि व 7 दिन की बच्ची को लेकर उपचार के लिए सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से सिविल अस्पताल आया था। जब वह चिकित्सक के पास पहंुचा, तो उसे देखकर जच्चा व बच्चा को देखने से मना कर दिया और अस्पताल से निकलने की धमकी दी। इसके बाद भिखारी अपनी बीमार पत्नि व बच्ची को लेकर अस्पताल से चला गया। जिस समय यह घटना हुई, उस समय वहां दो पत्रकार भी मौजूद थे। उनसे यह अन्याय नहीं देखा गया और इस पर ऐतराज किया। साथ ही मामले से स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तराखण्ड को भी अवगत कराया गया और बताया गया कि नारसन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही के चलते भिखारी की पत्नि ने एक बच्ची को सड़क पर ही जन्म दे दिया था। जो अस्पताल की घोर लापरवाही का नमूना हैं। सड़क पर जन्मी बच्ची के बारे में जब सीएमएस को पता लगा और उन्हें मामला कहीं तूल न पकड़ जाये, तो उन्होंने इनकी तलाश सरकारी एम्बुलेंस चालक के माध्यम से कराई। अस्पताल के बाहर पेट्रोल पम्प के निकट उक्त दम्पत्ति पैदल जाता हुआ दिखाई दिया और उन्हें जबरदस्ती एम्बुलेंस में बैठाने का प्रयास किया गया। बाद में गंगनहर पुलिस मौके पर पहंुची और भिखारी व उसकी पत्नि और बच्ची को सकुशल नारसन छुड़वाया। वहीं नारसन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात डॉ. उस्मान द्वारा अधिकारियों को यह कहकर गुमराह किया गया कि यह पत्रकारों की सेटिंग के चलते हुआ हैं। जबकि एक भिखारी पत्रकार को क्या दे सकता हैं? इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं। इस सम्बन्ध में पत्रकारों द्वारा जिला स्वास्थ्य अधिकारी व डीजी हैल्थ देहरादून को भी अवगत कराया गया हैं। साथ ही पत्रकारों के ऊपर आरोप लगाने वाले चिकित्सक को सस्पेंड करने की मांग की गई हैं। यदि जल्द ही ऐसा नहीं किया गया, तो पत्रकार मुख्यमंत्री से मिलकर आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग करेंगे।
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