रुड़की। ( बबलू सैनी )  ‘एक तू सच्चा, तेरा नाम सच्चा’ ईश्वरीय मंत्र के दृष्टा ऋषि सत्पुरूष बाबा फुलसंदे वाले ने कहा कि प्रेम से युक्त ईश्वर आराधना जब किसी के हृदय से प्रकट होती हैं, इस समय साधक को ज्ञान होता हैं कि वह अनंन विराट पुरूष उसके हृदय में आकाश की चादर को ओढ़े सो रहा हैं। उसे महसूस होता है कि उसकी आत्मा प्रकाश की एक बूंद मात्रा नहीं बल्कि प्रकाश का महासागर हैं। जिसमें परमब्रह्म पुरूष नारायण विश्राम कर रहा हैं। फुलसंदे वाले बाबा यहां पनियाला रोड़ स्थित गंगोत्री कुंज में आयोजित त्रिदिवसीय सत्संग के तीसरे दिन उपस्थित श्रद्धालुओं के सम्मुख अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस मनुष्य को आत्मत्व का जरा भी आभास हो जाता हैं, वह संसार में प्रत्येक प्राणी में उसी सनातन ज्योति को झिलमिझाते हुये देखने लगता हैं। उन्होंने कहा कि ‘हे’ जीव, तू किसी से न डर, संसार अपना काम कर रहा हैं, तू अपना काम कर। हे आदि पुरूष, परमात्मा मेरे हाथ को पकड़कर तू अपने असीम आनंदधाम की ओर को ले चल। उस स्वर्णिम भूमि पर ले चल, जहां देव आत्माएं तेरे प्रेम के नशे मंे तेरा गुणगान करते हुए नृत्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हे प्रभू तूने ही ये सब शरीर रचे हैं, मन, बुद्धि और सात लोक रचे हैं, देवगण आठ और उन्द्रा लेकर किसी की रक्षा नहीं करते, वे जिसका कल्याण चाहते हैं, उसकी बुद्धि को धर्म में स्थित कर देते हैं। सतपुरूष बाबा का स्वागत सम्मान करने वालों में अभिषेक सिंह, उर्मिला सिंह, डॉ. अशोक शर्मा आर्य, प्रदीप त्यागी, धीर सिंह सैनी, अक्षतवीर भटेजा, अनुज आत्रेय, डॉ. श्रीगोपाल नारसन, जानकी अरोड़ा, मधु मेंहदीरत्ता, मधु त्यागी आदि मुख्य रुप से मौजूद रहे।

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