रुड़की। देश की आजादी के आजाद हिंद फौज गोरखा समाज के प्रथम पंक्ति जांबाज भारतीय शहीद दुर्गामल्ल की 77वीं पुण्यतिथि पर गंगनहर के निकट स्थापित शहीद दुर्गामल्ल जी की प्रतिमा पर गोरखा समाज के अध्यक्ष जसवंत सिंह थापा के नेतृत्व में समस्त गोरखा समाज के प्रबुद्ध नागरिकों व मानवाधिकार संगठन ब्यूरो व राष्ट्र सम्मान संघ प्रदेश अध्यक्ष नवीन कुमार जैन एडवोकेट ने फूलमाला पहनाकर शहीद दुर्गामल्ल जी की 77वीं पुण्यतिथि पर उन्हें नमनपूर्ण श्रद्धांजलि दी। गोरखा समाज अध्यक्ष जसवंत सिंह थापा ने कहा कि शहीद मेजर गोरखाओं की एक अभूतपूर्व निशानी, जो रुड़की नहर किनारे चौक पर स्थित है। वह उत्तराखंड के लिए गौरव प्रतीक है। उन्होंने देश व राष्ट्र की सेवा में आजाद हिंद पफौज में मेजर के पद पर रह देश की आजादी के लिए युवाओं को जोड़ आजाद हिंद फौज को पुख्ता शक्ति दिलाई थी। उनके राष्ट्र प्रेम व बलिदान देश के समस्त गोरखा समाज के लिए गर्व का विषय है। श्रद्धांजलि सभा में नवीन कुमार जैन एडवोकेट व विधायक प्रदीप बत्रा ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देश की आजादी प्राप्ति में गोरखा समाज का अहम योगदान रहा। शहीद मेजर दुर्गमल्ल 1931 में गोरखा राइफल्स 2/1 बटालियन में राष्ट्र सेवा हेतु 18 वर्ष की उम्र में भर्ती हुए थे। उन्हें सिंगल ट्रेनिंग पर सेना ने महाराष्ट्र भेज दिया था। वह बटालियन सेवा में 10 वर्ष पश्चात 1941 में बटालियन के साथ मलाया पहुँचे1 सितंबर 1942 को सिंगापुर में आजाद हिंद फौज में महत्वपूर्ण भूमिका मेजर पद व गुप्तचर विभाग में सौपी गई। शहीद को कोहिमा मणिपुर उखरुल में गुप्त सूचना एकत्र करने के जुर्म में अंग्रेजी हुकूमत ने पकड़ लिया और 15 अगस्त 1944 को लाल किले की सेंट्रल जेल में रखा गया और 10 दिन बाद 25 अगस्त 1944 को फांसी पर चढ़ाया गया। राष्ट्रवासी शहीद दुर्गमल्ल के बलिदान को भुला नहीं पायेंगे। हम गोरखा समाज के समस्त नागरिकों से उम्मीद करतें है कि अपने बच्चों में शहीद के जीवन चरित्र व बलिदान की भावना की गाथा को अंगीकार कराए ताकि देश की रक्षा व सुरक्षा हेतु शहीद दुर्गामल्ल जैसे जांबाज राष्ट्र दायित्व निभा भारत माता की सुरक्षा को सुदृढ़ व शक्तिशाली रखा जा सके। श्रद्धांजलि सभा में पूर्व अध्यक्ष बुद्धि सिंह राणा, प्रदीप लेपचा, कमल राणा, गोरखा समाज उपाध्यक्ष दुर्गा थापा, रविंद्र गुरुंग कोषाध्यक्ष, महासचिव श्रीमती बिमला थापा, क्षेत्रीय प्रमुख राजेंद्र गुरुंग, कृष्ण कुमार, धर्म सिंह, शहजाद अल्वी, रजनी थापा, बिमला देवी, तुलसी देवी, हरि बहादुर गुरंग, सुरजा बहादुर आदि मौजूद रहे।

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