रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) उत्तराखंड में लंबे समय से चर्चा में रही द् लोनी अर्बन मल्टी-स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोआॅपरेटिव सोसाइटी (एलयूसीसी) कंपनी द्वारा कथित तौर पर सैकड़ों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इस घोटाले ने हजारों निवेशकों को प्रभावित किया है, जिन्हें आकर्षक योजनाओं और पैसा दोगुना करने के वादों के झांसे में फंसाया गया। इस मामले में हरिद्वार के खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने पीड़ितों के हक में आवाज उठाई और प्रेस काॅन्फ्रेंस कर सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने इस घोटाले की जांच सीबीआई या ईडी से कराने की मांग की और सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया। विधायक उमेश कुमार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले उनकी शिकायत पर 200 करोड़ रुपये की मनी लाॅन्ड्रिंग की जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन अधिकारियों द्वारा आरोपियों को बचाने की कोशिश की गई। उमेश कुमार ने आरोप लगाया कि सोशल म्यूचुअल बेनिफिट निधि लिमिटेड नामक कंपनी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार की पत्नी 2017 से 2020 तक डायरेक्टर थी, ने भी इसी तरह की धोखाधड़ी की। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब एलयूसीसी मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की गई, तो सोशल बेनिफिट घोटाले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को क्यों सौंपी गई? क्या सत्ता से जुड़े लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है? उमेश कुमार ने मांग की कि दोनों घोटालों की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराई जाए।
बता दें कि एलयूसीसी कंपनी, जो खुद को सहकारी समिति के रुप में पेश करती थी, ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान सहित आठ राज्यों में लोगों से निवेश के नाम पर करोड़ों रुपये जमा किए। कंपनी ने निवेशकों को फिक्स्ड डिपाॅजिट (एफडी), रिकरिंग डिपाॅजिट (आरडी) और अन्य योजनाओं के जरिए कम समय में मोटा मुनाफा देने का लालच दिया। शुरुआत में कुछ निवेशकों को रिटर्न देकर विश्वास जीता गया, लेकिन बाद में कंपनी कार्यालय बंद कर फरार हो गई।
एलयूसीसी कंपनी द्वारा करोडों की धोखाधड़ी करने पर निवेशकों व विधायक उमेश ने सीएम को चेताया
