रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) उत्तराखंड सूचना आयोग के आदेश के बाद भी असिस्टेंट प्रोफेसर को उसकी सेवा पुस्तिका उपलब्ध न कराने के मामले में लोक सूचना अधिकारी/प्राचार्य पर पाँच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही आयोग के समक्ष ही प्राचार्य से सत्यापित करवाकर उसकी सेवा पंजिका दिलवायी है। बी.एस.एम. पी.जी. काॅलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. सम्राट् शर्मा ने लगभग दो वर्ष पूर्व इस काॅलेज के लोक सूचना अधिकारी/प्राचार्य डाॅ. गौतम वीर से अपनी सेवापंजिका की सत्यापित प्रतिलिपि आरटीआई के तहत मांगी थी। प्राचार्य द्वारा उन्हें सेवा पंजिका नहीं दी गयी, तो उन्होंने काॅलेज के प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी मनोहर लाल शर्मा के यहाँ अपील की। उन्होंने भी पंजिका नहीं दिलवायी। लगभग डेढ़ वर्ष पहले प्रकरण उत्तराखंड सूचना आयोग के समक्ष आया, तो आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारी/प्राचार्य को आदेशित किया गया कि असिस्टेंट प्रोफेसर को सेवा पंजिका दी जाए, इसके बाद भी लोक सूचना अधिकारी/प्राचार्य ने पंजिका नहीं दी। प्रोफेसर द्वारा आयोग में शिकायत की गयी, तो आयोग ने निदेशक उच्च शिक्षा को इस प्रकरण में आयोग में उपस्थित होने का आदेश दिया। असिस्टेंट प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि लोक सूचना अधिकारी/प्राचार्य ने बाद में पंजिका के स्थान पर अखबार के पृष्ठ भेजे। इस मामले में अंतिम सुनवायी 17 फरवरी 2023 को करते हुए राज्य सूचना आयुक्त अर्जुन सिंह ने लोक सूचना अधिकारी/प्राचार्य डाॅ. गौतम वीर को उनके द्वारा आयोग में लायी अतिरिक्त सेवा पंजिका की प्रति आयोग के समक्ष ही डाॅ. सम्राट् शर्मा को सत्यापित करके देने का आदेश दिया और इस विलंब के लिए उन पर पाँच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

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