रुड़की। ( बबलू सैनी ) प्रथम स्वतंत्रता संग्राम दिवस 10 मई 1857 के अवसर पर नगर की साहित्यिक संस्था, हिंदी साहित्योदय के तत्वाधान में एक राष्ट्रीय कवि सम्मेलन ‘एक शाम शहीदों के नाम’ से आयोजित किया गया।
देर रात तक चले इस कवि सम्मेलन का शुभारंभ वीर शहीदों को पुष्पांजलि व माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन कर किया गया। 1857 के वीर नायकों का स्मरण कर कवियों ने देशभक्ति के गीत व वीर रस की कविताओं से बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं के अंदर देशभक्ति का ज्वार पैदा किया, जिससे बार-बार श्रोताओं ने भारत माता की जय, वन्दे मातरम के नारों से आकाश गुंजायमान कर दिया।
नगर के सुनहरा स्थित ऐतहासिक वटवृक्ष के मैदान में डॉ. भीमराव अंबेडकर जन कल्याण एवम उत्थान समिति, कर्मयोगी सेवा समिति, वीर सैनिक समिति, नंद विहार, रामलीला आयोजन समिति, वटवृक्ष व संस्कार भारती के सहयोग से इस कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन का आगाज प्रसिद्ध गीतकार रामशंकर सिंह ने सरस्वती वंदना से किया। वरिष्ठ कवि नरेश राजवंशी की अध्यक्षता व युवा कवि विनीत भारद्वाज व विनय प्रताप सिंह के संयुक्त संचालन में हुए कवि सम्मेलन में वरिष्ठ कवि नरेश राजवंशी ने जब पढ़ा किः- कि दुश्मन को जी-जान से प्यार देते हैं। गर्दिशे वक्त की जुल्फे सवार देते हैं।। हमारी सराफत को मजबूरी समझने वालों। हम दोस्ती में सर देते हैं, दुश्मनी में उतार लेते हैं।। हरिद्वार से आये वीर रस के प्रसिद्ध कवि संयुक्त आर्य ने पढ़ा कि कोई मंगलपांडे, कोई लक्ष्मी बाई, कोई आजाद बन जाता हैं। कोई गोली खाता है, कोई शूली चढ़ जाता है। तब जाकर हर दिन तिरंगा लहराया जाता है। सुनाकर खूब तालियां बटोरी। वीर रस के युवा कवि विनय प्रताप सिंह ने सिंह गर्जना करते हुए पढ़ा- ‘वंदे मातरम् गायेंगे हम, वंदेमातरम् गायेंगे। इसके लिए हम फाँसी भी चढ़ जायेंगे’। से श्रोताओं में जोश भर दिया। सहित्योदय संस्था के अध्यक्ष व कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि हरिप्रकाश खामोश ने पढ़ा कि आओ दिए जलाये, उन शहीदों के नाम पर, देश खातिर खेल गए जो अपनी जान पर।। वरिष्ठ कवि रामशंकर सिंह ने शहीदों को याद करते हुए कहा कि हे कुंजा, सुनहरा व रुड़की की माटी, कोई भूल जाये तो उनको जताना। लड़ी वीरता से विजय सिंह की सेना, फिरंगी से लिया लोहा ये बताना।। वरिष्ठ कवि सो सिंह ने पढ़ा कि भारत की एकता, अखंडता, बनी रहे। मिलजुल ऐसा सब प्रण कर लीजिए। वरिष्ठ शायर नफीसुल हसन ने पढ़ा कि बन्दगी उन शहीदों की कर लो। जो वतन पर फिदा हो गए है।। युवा कवि कुमार राम योगाचार्य ने पढ़ा कि शहीदों की याद में उत्सव मनाये जाते है। हर रोज उनकी वीरता के किस्से सुनाये जाते है। युवा कवि, शिक्षाविद मनीष श्रीवास्तव ने आजादी का जश्न मना लो, लहरा लो तिरंगा शान से। इस मिट्टी का कण कण प्यारा, हमको अपनी जान से। सुनाकर श्रोताओं को झूमने को मजबूर कर दिया। प्रसिद्ध जानी मानी कवयित्री अनुपमा गुप्ता ने रानी लक्ष्मीबाई के ऊपर कविता सुनाते हुए पढ़ा कि लक्ष्मीबाई जब रण में निकली हाथों में थी तलवारे दो, सुनाकर श्रोताओं में जोश भरा। वहीं हास्य, व्यंग्य के प्रसिद्ध हस्ताक्षर दिनेश कुमार, डीके वर्मा, प्रसिद्ध गीतकार तेजपाल तेज, युवा विनीत भारद्वाज ने भी अपनी प्रस्तुति दी। वीर रस के सुप्रसिद्ध कवि किसलय सैनी क्रांतिकारी ने वीर बांकुरों का पावन स्मरणग करते हुए पंक्तियां पढ़ी कि वे बनके दीपक जले इस वतन के लिए, रोशनी बन जले इस चमन के लिए।। क्या पता जिंदगी फिर मिले न मिले, कर गये जीवन हवन इस वतन के लिए।। कवि सम्मेलन में रुप सिंह, दधेरा, सुशील कुमार, ईश्वर सिंह, सतीश बाबू, सुलेख चंद, हाकम सिंह आर्य, रोहताश आर्य, पुष्पेंद्र आर्य, प्रवेश धीमान, विनय सैनी, सुरेश सैनी, विनीत सैनी, रोमा सैनी, मोहित सैनी, पार्षद पति अमित धारीवाल, पार्षद प्रतिनिधि सोनू कश्यप, श्रीमती मुनेश धीमान, श्रीमती पूजा नंदा, पंकज नंदा, बिजेंद्र सैनी, विक्रम सैनी, पप्पू कश्यप, सत्यपाल, दुष्यंत शर्मा, संजय सैनी, गुरमीत सिंह, प्रमोद कुंजा, रितिक कुंजा, पहल सिंह, नर सिंह, पवन, रामगोपाल शर्मा, नीटू, विजयपाल, सतीश कुमार, राकेश सैनी, सुधीर सैनी आदि बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे। अंत में वट वृक्ष पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए दीपदान किया गया।
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प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के वीर शहीदों की याद में वटव्रक्ष पर हुआ राष्ट्रीय कवि सम्मेलन ‘एक शाम, शहीदों के नाम’ का आयोजन, दीपदान कर दी गयी श्रद्धांजलि
