रुड़की। ( आयुष गुप्ता )
सिविल अस्पताल रुड़की में आजकल अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। सबसे ज्यादा मामले में इमरजेंसी चर्चित है, वह चाहे यहां मेडिकल बनाने के नाम पर अवैध वसूली की हो या इमरजेंसी में अप्रेंटिस करने वाले मेडिकल छात्रों की मनमानी की। सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ कई लोग ऐसे इमरजेंसी में ड्यूटी देते है, जिनका न तो अप्रेंटिस में नाम शामिल है, ओर न ही वह यहां बतौर कर्मचारी तैनात है। मरीजों से होने वाली इस अवैध वसूली में सबसे ज्यादा अहम भूमिका यही लोग निभाते है। इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक भी इन्हें ही अपने पास रखते है और जब मेडिकल आदि का काम होता है, तो वह इन्हीं के माध्यम से अवैध वसूली करते है। सूत्रों के अनुसार अस्पताल में स्वास्थ्य कार्ड बनाने के नाम पर भी 50 से 100 रुपए तक लिए जा रहे हैं, यह अवैध वसूली यही नहीं रुकती, जिन मरीजों का उपचार स्वास्थ्य कार्ड पर होता है, चिकित्सक ऐसे मरीजो से भी वसूली करने से नहीं कतराते। यही कारण है कि सिविल अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमराई हुई है। दूसरे, ऐसे लोग भी अस्पताल की साख पर बट्टा लगा रहे है, जो अस्पताल के बाहर अपने निजी अस्पताल संचालित करते है और रात्रि में अस्पताल में रहकर चिकित्सकों के साथ इमरजेंसी ओर महिला वार्ड में मरीज अटेंड करते है ओर मौका पाते ही चिकित्सकों के यह चापलूस मरीज को गुमराह कर अपने अस्पताल में ले जाते है। जहां उपचार के नाम पर उनसे मोटी कमाई की जाती है। ऐसे अनेक मामले सामने आते रहते है, जिनके कारण अस्पताल की छवि खराब होती रहती है, लेकिन हैरत की बात यह है कि अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय कंसल की उदासीनता के कारण यह सब व्यवस्थाएं चरमराई हुई है। क्योंकि उन्हें ऐसे मामलो की जब भी शिकायत की जाती है, वह जांच करने का हवाला देकर मामले को टाल देते है और ऐसे लोग अस्पताल में अपनी गुंडागर्दी के बल पर मरीजों को परेशान करते है।

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