रुड़की। ( बबलू सैनी ) आज इंडिय इंस्टीट्यूूट आॅफ टेक्नोलाॅजी रुड़की (आईआईटी) और नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ हाइड्रोलाॅजी (एनआईएच) संयुक्त रुप से रुड़की जल निर्वाचिका सभा (रुड़की वाॅटर काॅन्क्लेव) 2022 के दूसरे एडिशन को 2-4 मार्च 2022 तक आयोजित करने जा रहे हैं। जल संसाधन आयोजन, डिजाइन, संधारण व प्रबंधन से संबंधित यह अंतर्राष्ट्रीय इवेंट लगातार 2 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता रहा है। इसका पहला संस्करण 26-28 फरवरी 2020 को (हाइड्रोलाॅजिकल आस्पेक्टस आॅफ क्लाइमैट चेंज) विषय पर किया गया था। वर्तमान जल निर्वाचिका सभा- ‘समग्र विकास के लिए जल सुरक्षा’ (वाॅटर सिक्युरिटी फाॅर सस्टेनेबल डेवलपमेंट) पर आयोजित की जानी प्रस्तावित है। इस निर्वाचिका सभा में जल सुरक्षा और उसके विभिन्न पहलुओं को विशेष रुप से समझने तथा जल संसाधन, प्रबंधन के सामाजिक विकास में योगदान से संबंधित चर्चा होगी। इसमें पूरे विस्तार से इस विषय पर भी सटीक चर्चा होगी कि किस प्रकार इसके कारणों को और निर्धारण करने वाले तत्वों को समझा जाए। इसमें जल सुरक्षा के पर्यावरणीय, प्राकृतिक तथा सामाजिक पक्षों पर भी चर्चा होगी, जिनमें वातावरण, पर्यावरण, भोजन, ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और जन स्वास्थ्य में इसके योगदान संबंधी लिए जाने वाले निर्णयों व संभावित स्वीकार्यता एवं समाधानों पर भी चर्चा होगी। समग्र विकास में जल सुरक्षा के योगदान को ध्यान में रखते हुए भविष्य में आने वाली प्रमुख चुनौतियों को पहचानना आवश्यक है, साथ ही संयुक्त राष्ट्र के समग्र विकास के अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों (एसडीजी) को भी ध्यान में रखना है। इसी उद्देश्य के लिए इस काॅन्क्लेव का आयोजन निम्न थीम्स पर आधारित होगा, जो इसके निम्न उद्देश्य पूरे करेंगेः- शिक्षा, व्यवहार्यता और प्रशिक्षण, जल संसाधन प्रबंधन, जल गुणवत्ता और स्वास्थ्य, हाइड्रोलाॅजी व जलवायु परिवर्तन, नीतियां और कठिनाइयां, जल संबंधी विभीषिका व प्रबंधन ऊर्जा, भोजन व कृषि, इको हाइड्रोलाॅजी आदि शामिल रहेंगे। कार्यक्रम में जल संसाधन विभाग के सचिव पंकज कुमार, गंगा कायाकल्प, जल शक्ति मंत्रालय सुश्री विनी महाजन, पेजयल एवं स्वच्छता जल शक्ति मंत्रालय के सचिव डाॅ. जुनैद कमला अहमद, इंडिया कंट्री डायरेक्टर वल्र्ड बैंक आर.के. गुप्ता, चेयरमैन केंद्रीय जल कमिशन डाॅक्टर नंद कुमारन पी, चेयरमैन केंद्रीय भूमि जल बोर्ड, डाॅक्टर मिहिर शाह, अध्यक्ष भारत ग्रामीण जन जीवन यापन फाउंडेशन, अश्विन बी पंड्डा महासचिव आईसीआईडी, सोनम वांगचुक को प्रमुख उद्बोधन हेतु आमंत्रित किया गया। रुड़की पानी के क्षेत्र में अनुसंधानों के लिए विख्यात है। आईआईटी रुड़की और एनआईएच रुड़की नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ हाइड्रोलाॅजी ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए भारत में और विदेशों में फैले हुए नेटवर्क का उपयोग करते हुए केंद्रीय व राज्य सरकार के सहयोग से जल व उससे संबंधित क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान के गंभीरता से प्रयास किए हैं। मीडिया को संबोधित करते हुए एनआईएच रुड़की ;नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ हाइड्रोलाॅजीद्ध के डाॅक्टर जय वीर त्यागी, डायरेक्टर एनआईएच रुड़की ने बताया कि पर्यावरण संबंधी समस्याओं व संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में जल सुरक्षा एक प्रमुख सैद्धांतिक ढांचे के रुप में प्रस्तुत हुआ है। शुद्ध जल की आपूर्ति में असुरक्षा और ताजे पेय जल की उपलब्धता से आर्थिक उपलब्धियों में खतरा उत्पन्न हुआ है, जिससे स्थानीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव पैदा हुआ है। यहां तक की जल संसाधनों पर विवाद भी हो रहे हैं। जहां जल उपलब्धता कम है, वहाँ ये खतरे अधिक हैं। स्थानीय राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक और इनके समाधान बहुत थोड़े हैं। इस काॅन्क्लेव से ऐसा ढांचा तैयार करने के लिए एक मंच तैयार होगा जो कि समुदाय द्वारा तैयार किए जाएंगे और इन्हीं के आधार पर राष्ट्रीय जल नीति निर्धारित होगी। इस महा आयोजन से भारत एवं विश्व के विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं, नीति निर्धारकों, मैदानी कार्यकर्ताओं और एनजीओ आदि को अवसर मिलेगा कि वे अपनी जानकारियां, अनुभव व नई विकसित तकनीकों के बारे में कार्यरत डेलिगेट्स के रुप में उपस्थित इंजीनियर्स, शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और हितधारकों को लाभान्वित करेंगे, जो कि प्रतिनिधि के रुप में उपस्थित होंगे। इस काॅन्क्लेव के दौरान उपस्थित डेलिगेट्स को अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने के लिए कुछ प्रतिष्ठित हाइड्रोलाॅजीकल इंस्ट्रूमेंटेशन कंपनियां भी सहयोगी के लिए आगे बढ़ी हैं। मीडिया को जानकारी देते हुए आईआईटी रुड़की के प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि जल संसाधन प्रबंधन के अस्तित्व के लिए और सामाजिक विकास बढ़ाने के लिए जल सुरक्षा और इससे जुड़े अनेक पहलू को समझना बहुत आवश्यक है। उन्होंने आगे बताया कि तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में जल सुरक्षा पर विशेष फोकस रहेगा। साथ ही पुराने या अपर्याप्त आधारभूत सुविधाएं, जनसंख्या में बढ़ोत्तरी, प्रदूषण, बहुत तेज और बार-बार आने वाले तूफान, सूखे और बाढ़ आदि के दबाव से यह अनिवार्य हो गया है कि पानी की अधोसंरचना और जल संरक्षण के नए कारगर तरीकों व प्रबंधकीय समाधान को बढ़ाया जाए। रुड़की वाॅटर काॅन्क्लेव 2020 की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इस काॅन्क्लेव का दूसरा आयोजन इस बात पर जोर देगा कि हमारी भलाई के लिए पानी एक अनिवार्यता है।