रुड़की।  ( बबलू सैनी ) आईआईटी रुड़की और हिमालयन इनवार्यमेंट स्टडीज एंड कंजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन संयुक्त (एचईएससीओ) ने प्रशिक्षण, शिक्षा, अनुसंधान और तैनाती में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिससे दोनों संस्थान के बीच संबंध विकसित करने के लिए शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसं ाान और अन्य सहमत गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। ये समझौता ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और ग्रामीण समुदायों की आजीविका बढ़ाने, प्रशिक्षण और हिमालयी सतत् विकास पर कार्यशालाओं के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी वित्त पोषण संगठनों के प्रस्ताव के तहत रिसर्च और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को संयुक्त रुप से प्रस्तुत करने की रूपरेखा तैयार करता है। दोनों संस्थान विभिन्न प्राकृतिक मुद्दों पर संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने पर सहमत हुए, जैसे जल संसाधन प्रबंधन में हाल ही विकसित तकनीक, कृषि विकास, खाद्य सुरक्षा, कृषि सुरक्षा, आजीविका सुरक्षा, पेयजल सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, प्राकृतिक खतरे, जलवायु आदि शामिल हैं। यह समझौता संयुक्त अनुसंधान के लिए स्टॉफ और छात्रों के आदान-प्रदान की सुविधा भी प्रदान करता है। एचईएससीओ गांवों से प्रेरणा लेता है और उनकी समस्याओं का समाधान तैयार करता है। यह उन्हें उनकी आर्थिक और विकास आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और उन्हें स्थानीय संसाधनों का दोहन करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो आत्मनिर्भरता के नए रास्ते खोलते हैं। पिछले 35 वर्षों से, डॉ अनिल जोशी और एचईएससीओ के उनकी टीम के सदस्य हिमालय के ग्रामीण गांवों में निरंतर विकास लाने के लिए पर्यावरण विज्ञान और सरल प्रौद्योगिकियों के ज्ञान को लागू कर रहे हैं। एचईएससीओ के संस्थापक डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि वह आईआईटी रुड़की के साथ जुड़ने के लिए इच्छुक है। सामाजिक-आर्थिक स्वतंत्रता के लिए सामुदायिक संगठन को सशक्त बनाने के लिए एचईएससीओ द्वारा आईआईटी रुड़की द्वारा उत्पन्न ज्ञान का संचार किया जाएगा। यह एक अनुकरणीय समझौता होगा, जो हिमालयी ग्रामीण समुदायों के लिए कृषि, पानी और स्वच्छता और ऊर्जा जैसी विभिन्न समुदाय की जरूरी टेक्नोलॉजी के लिए पार्टिसिपेटरी रिसर्च विकसित करने में मदद करेगा। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि आईआईटी रुड़की और एचईएससीओ के बीच प्रस्तावित सहयोग हिमालयी क्षेत्र में ग्रामीण समुदायों की सतत प्रगति के लिए जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और कृषि के लक्षित विकास को बढ़ावा देगा।

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