रुड़की।  ( बबलू सैनी ) सरकार कानून तो बनाती हैं, लेकिन उसका पालन नहीं कराती। इसी कारण कुछ लोग विभिन्न पदों पर रहकर सरकारी धन का लाभ अर्जित करने में कामयाब हो जाते हैं। सरकार द्वारा चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों व शिक्षित होने का कानून पारित किया गया, लेकिन इस कानून का पालन कराना सरकार भूल गई। हाल ही में नगर निगम रुड़की के वार्ड-4 से पार्षद पूनम देवी पत्नि अजय कुमार उर्फ प्रधान की सदस्यता डीएम द्वारा इसलिए समाप्त कर दी गई कि उक्त महिला के तीन बच्चे थे। हाल ही में सरकार द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हरिद्वार में कराये गये। इन चुनावों में भी यही कानून लागू होता हैं। सरकार को चाहिए कि चुनाव परिणाम के बाद दो माह के भीतर सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की योग्यता व दो बच्चों की जांच आवश्यक रुप से करायें और जांच में जो भी लोग दोषी पाये जायंे, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के साथ ही उन्हें पदमुक्त करते हुए दूसरे नंबर पर आये प्रत्याशी को विजयी घोषित करें। हाल ही में जिला पंचायत, ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत व वार्ड सदस्य के चुनाव सम्पन्न हुये हैं। हो सकता है कि इनमें भी कुछ ऐसे प्रत्याशी विजयी हुये हों, जो कानून की कसौटी पर खरे न उतरते हो। जांच के बाद इनके खिलाफ भी इसी प्रकार की कार्रवाई हो, जिस प्रकार रुड़की की पार्षद के खिलाफ हुई हैं ताकि भविष्य में गलत लोग चुनाव लड़ने की हिम्मत न कर सकें। अहम बात यह भी है कि इस प्रकार की गलती पढ़े-लिखे लोग करते हैं ओर उसे चूक नहीं माना जा सकता। समाजसेवी लोगों का कहना है कि भाजपा सरकार इस प्रकार के मामलों की गहनता से छानबीन करें तो और भी कई मामले सामने आयंेगे। जनहित में उनकी सदस्यता निरस्त होने के साथ ही जब कानूनी कार्रवाई होगी, तो भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो सकेगी। दुखद बात यह है कि किसी व्यक्ति द्वारा शिकायत करने के बाद ही सरकार नींद से जागती हैं। अगर चुनाव पारदर्शिता से होंगे, तो लोकतंत्र में जनता का विश्वास बढ़ेगा।

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