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एचआरडीए के भ्रष्ट अधिकारियों की लापरवाही से सरकार को हो रहा भारी राजस्व का नुकसान, शहर में अवैध भवन/कॉम्प्लेक्स के निर्माण धड़ल्ले से जारी

रुड़की।  ( बबलू सैनी ) हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण में तैनात अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों से भागते नजर आ रहे हैं। सरकार द्वारा यहां उन्हें इसलिए तैनात किया गया था कि रुड़की शहर में कोई भी व्यवसायिक कॉम्प्लैक्स हो या रिहायशी मकान या दुकान हो, बिना अनुमति के नहीं बन पायेगा। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारी अपनी ड्यूटी का निर्वहन ईमानदारी से नहीं कर पा रहे हैं। इक्का-दुक्का मामलों में ही अनुमति दी जाती हैं। पैसा कमाने के लिए चारों ओर दलाल छुटे हुये हैं, जो शिकार को आते ही दबोच लेते हैं और सेटिंग-गेटिंग कर मामले को पक्का कर दिया जाता हैं। स्थानीय समाजसेवी लोगों ने बताया कि रुड़की शहर में सैकड़ों मकान जिनमें कॉम्प्लेक्स, दुकान या रिहायशी मकान शामिल हैं, इनका निर्माण बिना परमिशन के हो रहा हैं और जिन लोगों ने अनुमति ली हुई हैं, वह नक्शे के अनुरुप निर्माण नहीं कर रहे हैं। जब इसकी शिकायत स्थानीय लोगों द्वारा प्राधिकरण में की जाती हैं, तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। अलबत्ता लेन-देन का सिलसिला तेज होता हैं और मामले को दबा देते हैं। इसे लेकर प्राधिकरण में बैठे अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालियां निशान लगना लाजमी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां हो रही हेरा-फेरी के कारण सरकार को भारी राजस्व की हानि हो रही हैं। यह मामला देहरादून तक पहंुच गया हैं, लेकिन सीएम चुनाव में व्यस्त होने के कारण इस पर कोई फैसला नहीं कर पा रहे हैं। माना जा रहा है कि चंपावत चुनाव के बाद गोपनीय तरीके से प्राधिकरण के अधिकारियों की कार्यशैली की जांच होगी, जिसमें सब कुछ साफ हो जायेगा। फिलहाल तो शहर में अवैध निर्माणों की झडी लगी हुई हैं और रसूखदार व पैसे वाले लोगों के सामने कानून कोई मायने नहीं रखता। इसका उदाहरण रुड़की में देखा जा रहा हैं। शहर में मकतूलपुरी, रेलवे स्टेशन, सिविल लाईन, प्रेम मंदिर रोड़, बीटी गंज, मैन बाजार, अनाज मंडी समेत दर्जनों स्थानों पर अवैध रुप से निर्माण कार्य चल रहे हैं। जबकि प्राधिकरण के अधिकारी गहरी नींद में सोये हुये हैं। सरकार को इस प्रकरण को गम्भीरता से लेते हुए किसी अपनी विश्वसनीय टीम से इन दफ्तरों का औचक निरीक्षण व नव-निर्मित भवनों की जांच करानी चाहिए। ताकि प्राधिकरण के भ्रष्टचारी अधिकारियों की कलई खुल सके। बहरहाल कुछ भी हो, प्राधिकरण में इस समय भ्रष्टाचार का बड़ा बोलबाला हैं। अगर इस पर जल्द अंकुश नहीं लगाया गया, तो आने वाले समय में गम्भीर परिणाम सामने आयेंगे।

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