रुड़की। विश्व आयुर्वेद परिषद रुड़की द्वारा आज शरद पूर्णिमा के अवसर पर नगर निगम सभागार में औषधि खीर का निःशुल्क वितरण किया गया। जिसका लगभग 700-800 रोगियों ने लाभ उठाया। यह औषधि खीर सांस, दमा, पुराना नजला, खांसी आदि व हृदय रोग में लाभकारी है। इसका प्रतिवर्ष 3 शिविर शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा और मार्गशीर्ष की पूर्णिमा पर आयोजित होता है। इस वर्ष का प्रथम शिविर यह आज हुआ, अगला शिविर 19 नवंबर तथा 19 दिसंबर को पुनः होगा। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान धनवंतरी का माल्यार्पण और पूजन से हुआ। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ नेता डाॅ. आशुतोष सिंह ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक चिरंजीव ने कहा कि उत्तराखंड जड़ी-बूटियों का भंडार है और पूर्ण स्वास्थ्य लाभ केवल आयुर्वेद से ही हो सकता है। आयुर्वेद सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। अध्यक्षता संघ के विभाग संचालक रामेश्वर ने की। उन्होंने कहा कि वह भी अपने जीवन में अधिकतर आयुर्वेदिक चिकित्सा ही लेते हैं और इस औषधि खीर का लाभ भी वर्षों से ले रहे है। विश्व आयुर्वेद परिषद के प्रदेश सचिव व औषधि खीर के निर्माता वैद्य टेक वल्लभ ने औषधि खीर के घटक व गुण बताते हुए कहा कि आयुर्वेद का यह अद्भुत योग है, जो उत्तराखंड की प्रति दुर्लभ जड़ी बूटियों का शास्त्र अनुसार दोहन करके गाय के दूध और सांठी के चावल आदि का मिश्रण कर तैयार किया जाता हैं, उसके बाद रात्रि को पूर्णिमा की चांदनी में रखी जाती है और प्रातः काल खाली पेट सेवन की जाती है। इसके सेवन से सांस, दमा, पुराना नजला, खांसी आदि कफ रोग व हृदय रोगों में लाभकारी है और इन्हीं से बचाव करते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है। उन्होंने इस औषधि का लाभ ले चुके लोगों से अनुभव शेयर भी कराया। इस अवसर पर डाॅ. जिनेंद्र सिंह, डाॅ. पीसी शास्त्री, डाॅ. शशि मोहन गुप्ता, डाॅ. विजय कौशिक, डाॅ. विनोद गुप्ता, डाॅ. सुधीर गुप्ता, डाॅ. प्रदीप त्यागी, डाॅ. इंद्रेश पुष्करना, डाॅ. नाथीराम सैनी, सुरेंद्र रोड, संदीप भाटी, नवीन अरोरा, हर्ष अरोरा आदि ने सहयोग किया।

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