रुड़की। ( बबलू सैनी ) नगर निगम के ठेकेदारों पर ईपीएफ व ईएसआई लागू किये जाने के विरोध में ठेकेदारों ने नगर निगम के निर्माण भवन/कार्यालय में जमकर हंगामा किया। यही नहीं कई घंटे तक कार्यालय को भी बंद किये रखा ओर वहीं धरने पर बैठ गये। धरने पर बैठने वाले ठेकेदारों का दूसरे पक्ष के ठेकेदारों ने विरोध किया। इस बात को लेकर दोनों पक्षों के ठेकेदारों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। वहीं मामले की जानकारी पाकर नगर आयुक्त विजयनाथ शुक्ल मौके पर पहंुचे और धरनारत् ठेकेदारों को समझाने का प्रयास किया, किंतु ठेकेदारों की उनके साथ भी नोंक-झोंक हो गई।
रुड़की नगर निगम में सोमवार को करीब साढ़े छः करोड़ की राशि के टेंडर खरीदे जाने थे। लेकिन टेंडर डालने के लिए निगम की ओर से ठेकेदारो को ईपीएफ पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया। इस बात को लेकर ठेकेदारों ने विरोध शुरू कर दिया और कुछ ठेकेदार एकमत होकर निर्माण अनुभाग कार्यालय का गेट बंद करके धरने पर बैठे गये और अन्य ठेकेदारों को भी टेंडर नहीं डालने दिया गया। ठेकेदारों का कहना था कि रुड़की नगर निगम अनिवार्य रुप से ईपीएफ लागू कर रहा हैं, जिससे ठेकेदारों पर आर्थिक बोझ बढ़ जायेगा। कहा कि कुछ ठेकेदार तो कम लागत के कुछ ही कर्य कर पाते हैं और उसी के अनुसार अस्थाई लेबर रखते हैं। ऐसी स्थिति में वह परमानेंट लेबर का खर्च कैसे वहन कर पायेंगे। ठेकेदारों की मांग थी कि ईपीएफ व ईएसआई खत्म होना चाहिए या फिर श्रेणी बनाई जाये ताकि छोटे कार्य करने वाले ठेकेदारों पर यह नियम लागू न हो पाये। वहीं कुछ ठेकेदारों ने टेंडर खरीदने की मांग की और एमएनए से मिले। एमएनए धरनारत् ठेकेदारों को समझाने पहंुचे, तो ठेकेदारों से उनकी भी नोंक-झोंक हो गई। वहीं इस दौरान ठेकेदारों के दोनांे गुट भी आमने-सामने आ गये। दोनों पक्षों के बीच जमकर नोंकझोंक हुई और नौबत धक्का- मुक्की तक आ पहंुची। बाद में नगर आयुक्त विजयनाथ शुक्ल ने दोनों पक्षों के साथ बैठकर वार्ता की और तय किया गया कि एक सप्ताह बाद फिर से टेंडर डाले जायेंगे। वहीं शोभित गौतम का कहना है कि आज टैंडर डालें जाने थे, जिसका विरोध करते हुए कुछ लोग धरने पर बैठ गये जबकि वह टेंडर डाले जाने की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ईपीएफ और ईएसआई लागू होने के लिए श्रेणी हैं और छोटे ठैकेदारों पर इसका बोझ नहीं डालना चाहिए। वहीं संजय गुप्ता नीलू का कहना है कि ठेकेदारों पर कोरोना के दौरान पहले ही भारी मार पड़ी हुई हैं। ऐसे में ईपीएफ और ईएसआई लागू होना कहां तक ठीक हैं। वहीं उन्होंने एमएनए से इस संबंध मंे जीओ की मांग की। साथ ही कहा कि जरूरत पड़ी तो वह मामले को लेकर कोर्ट भी जायेंगे।

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