प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन सत्र का प्रारम्भ भारतीय शिक्षा समिति के मंत्री डॉ. रजनीकांत शुक्ला, प्रांत संगठन मंत्री विद्या भारती उत्तराखण्ड़ भुवन, सतीश त्यागी, भगवती प्रसाद चमोला, भीमराज बिष्ट, मुरलीघर चंदौला, विनोद रावत, नत्थीलाल बंगवाल, अमरदीप सिंह द्वारा माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं पुष्पार्चन कर किया गया। नवीन प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग में गढवाल मंड़ल के 74 नवीन प्रधानाचार्यो द्वारा सहभाग कर प्रशिक्षण प्राप्त किया जा रहा है। प्रशिक्षण वर्ग में विद्यार्थियों की अभिरूचि एवं क्षमता, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, विद्या भारती का लक्ष्य एवं उद्देश्य, विद्यालय प्रबन्धन में वैचारिक समृद्धि की योजना, वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य, नवीन प्रयोग, वार्षिक कार्य योजना, सस्ंकारयुक्त वातावरण, शिशु भारती, छात्र संसद, विभाग एवं व्यवस्थायें, समय सारणी, आदर्श पाठ योजना, वित्त प्रबंधन एवं बजट निर्माण आदि मुख्य विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाना है। रजनीकान्त शुक्ला ने प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानाचार्य के रुप में कार्य करते हुए हमारे दायित्व एवं कर्तव्य स्पष्ट एवं सटीक होने चाहिए। मानव, भौतिक एवं वित्तीय संसाधनों का उपयोग करते हुए विद्या मन्दिर सदैव से ही पंचपदीय शिक्षा प्रणाली के माध्यम से छात्रों के सर्वांगीण विकास को अपना परम् उद्देश्य मानकर राष्ट्र समाज को उच्च शिखर पर ले जाने वाली शैक्षिक, चारित्रिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक एवं शारीरिक शिक्षा द्वारा शिक्षण के साथ-साथ राष्ट्रधर्म का उत्कृष्ट कार्य कर रहे है। वर्तमान समाज में कुटुम्ब की अवधारणा का क्षरण हो रहा है। इसलिए विद्या मन्दिरों के माध्यम से 6 बिंदुओं भोजन, भजन, भूषा, भाषा, भ्रमण, भवन पर कुटुम्ब प्रबोधन होना अत्यंत आवश्यक है। संगठन मंत्री भुवन ने अपने आशीर्वचनों में नवीन प्रधानाचार्यों को शुभकामनायें देते हुए तथा पंचप्राणों की चर्चा करते हुए कहा कि छात्र, अभिभावक, प्रबंध समिति, प्रधानाचार्य, आचार्य परिवार व पूर्णकालिक विद्या भारती की नींव है। एकाग्रता और मजबूत इच्छा शक्ति के द्वारा हम बड़े से बड़े लक्ष्य को सरलता से प्राप्त कर सकते है।