रुड़की। ( बबलू सैनी ) रुड़की रेंज में जबसे नये अधिकारियों की तैनाती हुई हैं, तभी से प्रतिबंधित पेड़ों का कटान तेजी के साथ हो रहा हैं। यानि अधिकारियों द्वारा जिस जिम्मेदारी के साथ रुड़की के पदों पर कर्मियों को आसीन किया गया था, उसे वह निभा नहीं पा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि हाल ही में भगवानपुर क्षेत्र के सिसौना में तस्करों द्वारा बिना अनुमति के आम के फलदार पेड़ों पर आरियां चलाई गई, वहीं बालेकी युसुफपुर व देवुपर में शीशम के कीमती पेड़ रातों-रात काट लिये गये। इसके अलावा डाडा पट्टी में भी तस्करों द्वारा प्रतिबंधित सिंभल के पेड़ काटकर रफा-दफा कर दिये गये। सबसे बड़ी बात यह है कि यह सभी पेड़ प्रतिबंधित हैं और इन्हें काटने के लिए विभागीय अधिकारियों से पहले अनुमति लेना आवश्यक होता हैं। इसके बावजूद भी इन पेड़ों के काटने में सम्बन्धित ठेकेदारों द्वारा किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई और वन विभाग के कर्मियों से सांठ-गांठ कर प्रतिबंधित पेड़ों को काट डाला। इनकी कीमत लाखों रुपये में बताई जा रही हैं। जब सरकार द्वारा पेड़ों के कटान की रोकथाम को लेकर वन विभाग बनाया गया और इसमें अधिकारी तैनात किये गये, जिनके कंधों पर इन पेड़ों के संरक्षण की बड़ी जिम्मेदारी हैं, इसके बावजूद भी बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित पेड़ों का कटान होना अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालियां निशान लगा रहा हैं। इन मामलों में विभाग के कर्मियों द्वारा सांठ-गांठ कर मामले को दबाने का प्रयास किया गया, जबकि इसके कारण सरकार को राजस्व की भारी हानि भी हुई। चर्चा यह भी है कि वन विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला हैं और मौका देखते ही लोग अपनी जेब भरने का काम करते हैं। इस संबंध में स्थानीय समाजसेवी लोगों का कहना है कि एक ओर जहां पेड़ों के संरक्षण को लेकर सरकार अभियान चला रही हैं, वहीं उन्हीं के नुमाईंदे इन्हें कटवाने का काम कर रहे हैं। इस संबंध में डीएफओ हरिद्वार के साथ ही वन मंत्री को भी शिकायत कर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई। अब देखने वाली बात यह होगी कि लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा। वहीं रुड़की रेंजर विनय राठी ने मीडिया को सवाल के जवाब में बताया कि पेड़ काटने के मामले को लेकर पुलिस भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती हैं। जब उनसे पूछा गया कि ऐसे में वन विभाग क्या करेगा, तो उन्होंने कहा कि हमारे पास स्टाफ की कमी हैं और फॉरेस्ट गार्ड के पास बड़ा क्षेत्र होता हैं। फौरी तौर पर जाना वहां संभव नहीं होता। बहरहाल कुछ भी हो, आखिर माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने से रेंजर क्यों बच रहे हैं। इस सवाल का जवाब तो वहीं दे सकते हैं। फिलहाल तो प्रतिबंधित पेड़ों का लगातार कटना पर्यावरण के लिए बेहद चिंताजनक हैं।