रुड़की। ( बबलू सैनी )  4 अप्रैल की रात्रि को मंगलौर कोतवाली क्षेत्र में आम के पेड़ काटने का मामला प्रकाश में आया था। इस मामले में वन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। जिसके बाद वन मंत्री सुबोध उनियाल को फोन कर मामले से अवगत कराया गया था, उसके बाद वन विभाग व उद्यान विभाग हरकत में आया। उस समय वन विभाग की टीम के साथ क्षेत्राधिकारी मयंक गर्ग भी मौके पर पहंुचे थे

और उन्होंने बताया था कि वहां उन्हें एक आरा मिला था और जमीन पर कुछ पेड़ भी कटे हुये मिले थे और पाया कि 11 पेड़ बाग से काटे गये। उसके बाद वन विभाग के अधिकारियों ने कार्रवाई को लेकर हाथ खड़े कर दिये और गेंद उद्यान के पाले में डाल दी। बताया गया है कि उद्यान विभाग के अधिकारियों ने केवल 5 पेड़ों पर जुर्माना वसूलने का नोटिस मालिक को दिया। अब सवाल यह है कि छः पेड़ का जुर्माना क्यों नहीं वसूला गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि क्षेत्रीय वन दरोगा की सांठगांठ के चलते मनमर्जी की जा रही हैं। एक ओर जहां सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए अभियान चलाकर पौधों का रोपण कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर हरे-भरे बगीचों का पातन हो रहा हैं। इसके अलावा एक अन्य जगह से भी बड़ी मात्रा में पेड़ काटे जाने की सूचना हैं। उद्यान विभाग के अधिकारियों ने माना कि 36 पेड़ अवैध तरीके से काटे गये थे, जबकि स्थिति 60 पेड़ काटने की बताई गई। अहम सवाल यह है कि आज तक पेड़ काटने वाले ठेकेदार या मालिक के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो पाई? काफी लंबा समय बीत जाने के बाद भी इस मामले में मालिक या ठेकेदार के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं हो पाया। इस मामले से उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया गया हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि अधिकारी आगे क्या कदम उठाते हैं।

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