रुड़की। ( बबलू सैनी / भूपेंद्र सिंह )
कलियर विधानसभा से आप पार्टी प्रत्याशी शादाब आलम का विरोध क्षेत्र में शुरू हो गया है। जहां-जहां भी वह जा रहे हैं, उन्हें पैराशूट बताकर विरोध स्वरुप जाने के लिए कहां जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि उत्तराखंड में आप पार्टी का जन्म हो रहा है और ऐसे समय में भी स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर हल्द्वानी से बाहरी प्रत्याशी को लाने के पीछे क्या मंशा रही होगी। इस सवाल का जवाब तो वही दे सकते हैं, लेकिन स्थानीय जनता भी पढ़ी लिखी है और बाहरी प्रत्याशियों को जवाब देना अच्छी तरह जानती है। ऐसे लोग केवल चुनाव में अपना उल्लू साधने के लिए आते हैं और फिर लौट कर वापस नहीं आते। कई जगह शादाब आलम को भागकर जान बचानी पड़ी।
दरअसल कलियर विधानसभा क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है और यहां के लोग कांग्रेस व अन्य दलों से जुड़े हुए हैं। इसलिए जनता का अधिक रुझान स्थानीय नेताओं की ओर रहता है, जो उनके दुख दर्द में भी 24 घंटे खड़े रहते हैं। स्थानीय लोगों ने इस संवाददाता से बातचीत के दौरान कहा कि वह किसी भी सूरत में बाहरी लोगों पर दांव नहीं लगाएंगे और हमारे दुख दर्द में शामिल होने वाले प्रत्याशी को ही जीताकर देहरादून की पंचायत में भेजा जाएगा। चारों ओर विरोध का सामना कर रहे शादाब आलम को वोट मांगना भी मुश्किल हो गया है। बड़े बुजुर्गों के साथ ही युवा भी उन पर आक्रोशित है। जनता का यह भी कहना है कि अगर उन्हें चुनाव ही लड़ना था, तो अपने क्षेत्र से लड़ते, यहां आने की क्या जरूरत थी। यह सीट कलियर साबिर पाक की भूमि है और यहां के लोग स्थानीय व्यक्ति को चुनने पर ही जोर देते हैं, पैराशूट पर नहीं। लोगों का कहना है कि शादाब आलम को अपनी जमानत भी बचानी भारी पड़ जाएगी। क्योंकि वह एक हजार का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएंगे, जो लोग उनके साथ हैं, वह भी बाहर से दिहाड़ी मजदूरी पर लाए गए हैं। वोट मिलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। शादाब आलम को यह भी सोचना होगा कि राजनीति खेल नहीं है बच्चों का और इसमें तेल निकल जाता है अच्छे अच्छों का। आजकल वह डोर टू डोर जा जरूर रहे हैं, लेकिन उन्हें लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ रहा है। वही जब इस पैराशूट प्रत्याशी के मामले को लेकर हमने स्थानीय निवर्तमान विधायक फुरकान अहमद से बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि की कोई भी अच्छा व्यक्ति आप प्रत्याशी के साथ नहीं है। केवल लालची व माल उड़ाने वाले चुनिंदा लोग ही उसके साथ हैं। जब 10 मार्च को रिजल्ट आएगा, तो शादाब आलम की हवा सरक जाएगी। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में कलियर विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विकास के कार्य कराए गए, जिन्हें क्षेत्र की जनता नहीं भूल सकती। वही लोगों ने भी विधायक फुरकान के कार्यों पर मोहर लगाई और कहा कि आप पार्टी के नेता से बचकर रहे। उसके बहकावे में ना आए तथा क्षेत्र के पसंदीदा प्रत्याशी फुरकान अहमद को भारी मतों से जीता कर भेजें। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिस प्रकार के विरोध का सामना शादाब आलम को करना पड़ रहा है, उनके पैर उखड़ गए हैं और अब चुनाव से भागने की फिराक में है। हालांकि भाजपा पार्टी द्वारा इस सीट पर बेहद मजबूत प्रत्याशी मुनीश सैनी को चुनाव मैदान में उतारा गया है और यहां मुकाबला फुरकान अहमद व मुनीश सैनी व बसपा के प्रत्याशी सुरेंद्र सैनी के बीच त्रिकोणीय हो गया है। शादाब आलम तो चुनावी दौड़ से बाहर दिखाई दे रहे हैं। चर्चा यह भी है कि शादाब आलम फुरकान अहमद को नुकसान पहुंचाने की मनसा से यहां आए थे, लेकिन वह अपने मकसद में कामयाब होते नजर नहीं आ रहे हैं। उनका खेल पूरी तरह बिगड़ गया है और उनके चहेते केवल माल बटोरने में लगे हैं। उन्हें वोटों से कोई सरोकार नहीं है। जिस प्रकार से शादाब आलम कलियर में खाली आए थे, इसी प्रकार हाथ जोड़कर उन्हें यहां से जाना पड़ेगा, यह तय है।

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