रुड़की। ( बबलू सैनी / भूपेंद्र सिंह ) ‘घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने’ वाली कहावत कलियर विधानसभा सीट से ‘आप’ प्रत्याशी शादाब आलम पर खरी उतर रही हैं। वह इसलिए कि एक तो वह बाहरी/पैराशूट प्रत्याशी हैं, दूसरे सीएम केजरीवाल की गारंटी के रिपोर्ट कार्ड की तो दूर की बात हैं, इस प्रत्याशी की गारंटी कौन लेगा? यह भी सवाल लोगों के जहन में लगातार उठ रहा हैं। कलियर के रहने वाले लोगों के बीच अबसे पहले वह कभी नहींे आये, ऐसे में यहां की जनता उन पर क्यों विश्वास करें। इस क्षेत्र में आप पार्टी का पहले से कोई संगठन नही हैं और न ही कुछ आधार हैं। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या आप पार्टी के पास कलियर विधानसभा क्षेत्र का कोई स्थानीय व्यक्ति नहीं था, जिसे वह अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार सके। तो फिर शादाब आलम ऐसे कौन से ‘अलाद्दीन के चिराग थे’ जिन्हें हल्द्वानी से ऐसे लाया गया कि जैसे झट से उन्हें टिकट दिया जाये और वह पट से जीत दर्ज कर यह सीट पार्टी की झोली मंे डाल देंगे। इनके पास केवल एक दर्जन लोग आस-पास मंडराते दिखाई दे रहे हैं, जो हल्द्वानी, दिल्ली, बिजनौर और आस-पास के क्षेत्रांे के निवासी हैं। जिनकी खुद की भी गारंटी नहीं है और वह कब चुनाव-प्रचार बीच में छोड़कर भाग जायें तथा शादाब आलम बगले झांकते रह जाये।
सनद रहे कि कई स्थानों पर अन्य पार्टियों से जुड़े मतदाताओं द्वारा उनका विरोध करना भी शुरू कर दिया गया हैं, जिसका नमूना विगत दिनों सुनहरा से जनसपंर्क कर लौटते समय हॉस्टल के निकट खड़े लोगों द्वारा उन्हें चुपचाप चले जाने के लिए कहा गया, देखने को मिला। इसी प्रकार कई अन्य जगह भी वह लोगों का कोपभाजन भी बन रहे हैं। अब ऐसे में पार्टी को वह कितनी वोट दिला पायेंगे, जिस पर वह भरोसा किये बैठी हैं। फिलहाल तो उनकी दुकान में कोई सौदा (वोट) नजर नहीं आता।
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