रूडकी। ( बबलू सैनी )
श्री भवानी शंकर आश्रम रुड़की में श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर हेमानंद सरस्वती महाराज के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा में भक्ति ज्ञान वैराग्य की कथा और श्रीमद्भागवत के मध्यम से इनकी पुष्टि का प्रसंग कहा गया। उन्होंने बताया की मनुष्य को ज्ञान और वैराग्य का अनुभव तब होता है, जब उसके जीवन में कोई बड़ी घटना जैसे किसी आत्मीय की मृत्यु घटित होती है, किन्तु ये अनुभूति क्षणिक होती है और थोड़े समय पश्चात ही वह मनुष्य फिर से संसारिक मोह बंधनों में फँस जाता है, इसके साथ ही पुराने कर्म जैसे पाप और अनाचार करने के लिए तत्पर हो जाता है, इसलिए शास्त्रों में निर्देश है की मनुष्य को याद रखना चाहिए की जीवन क्षणिक है और मृत्यु अवश्यंभावी है। ये जानकर अपने मन विचार और कर्मधर्म के अनुसार और मोह रहित रखने चाहिए। इसके अतिरिक्त शुकदेव जी के प्राकट्य की कथा और उनके द्वारा राजा परीक्षित को भागवत कहा सुनाकर उनका उद्धार करने की कथा भी कही गई। मेयर गौरव गोयल ने कथा में पहुंच कर महामंडलेश्वर का आशीर्वाद क्या तथा पूजा-अर्चना की। कथा में बड़ी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।