रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) वन विभाग व उद्यान विभाग के अधिकारियों की आपसी सांठ-गांठ के चलते लकड़ी माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। इस समय आम के पेड़ों का कटान पूरी तरह बंद हैं। क्योंकि फलों का मौसम हैं। ऐसे में अधिकारी किसी भी फलदार पेड़ को काटने की अनुमति नहीं दे सकते। इसके बावजूद भी आम के पेड़ों पर धडल्ले से आरियां चल रही हैं। ऐसा ही एक मामला मंगलौर थाना कोतवाली के नजदीक देखने को मिला। जहां एक लकड़ी माफिया द्वारा रात्रि के समय डेढ़ दर्जन के करीब आम के फलदार पेड़ काट दिये

गये। सूचना मिलने पर वन विभाग व उद्यान विभाग की टीम रात को ही मौके पर पहंुची और उक्त कटान को बंद कराया। मीडिया से बातचीत के दौरान जहां एक ओर वन विभाग 6-7 पेड़ काटने की बात कह रहा हैं, तो वहीं उद्यान विभाग मात्रा 5 पेड़ कटने की सूचना दे रहा है। अब सवाल यह है कि इन दोनों विभाग के अधिकारियों में किसकी बात पर यकीन करें। वन विभाग कार्रवाई करने की बात कर रहा हैं, तो वहीं उद्यान

विभाग भी नोटिस भेजने की बात बोल रहा हैं। जबकि समाचार लिखे जाने तक दोनों ही विभागों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। न ही कोतवाली में आरोपी लकड़ी माफिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि दोनों विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से ही फलदार पेड़ों का कटान हो रहा हैं। यदि पेड़ कटने की सूचना देहरादून में बैठे उच्चाधिकारियों को न दी जाती, तो शायद उक्त लकड़ी माफिया और ज्यादा पेड़ों का कटान करता। ऐसा लगता है कि दोनों विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर हैं जबकि भाजपा सरकार भ्रष्टचारयिों के खिलाफ कठोर कदम उठा रही हैं। लेकिन भ्रष्टाचारी अधिकारियों के खिलाफ शासन स्तर से कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में इन विभागों के अधिकारियों पर भी जांच के बाद कार्रवाई होना नितांत आवश्यक हैं ताकि भविष्य में कोई भी माफिया प्रतिबंधित समय में पफलदार पेड़ों को काटने की हिम्मत न कर सकें। क्योंकि यहां जो पेड़ काटे गये हैं, वह क्षेत्र नगरपालिका क्षेत्र बताया गया हैं। वहीं इससे पूर्व भी इसके निकट स्थित एक बड़े बाग से आम के सैकड़ों पेड़ों को काटकर ठिकाने लगा दिया गया था। लेकिन अधिकारियों को शिकायत के बाद भी उक्त प्रकरण में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।

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