रुड़की। (बबलू सैनी)
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) में 21वें वार्षिक दीक्षांत समारोह का ऑनलाइन आयोजन किया गया। समारोह की शुरुआत “वैदिक मंत्रोचार ” और छात्रों द्वारा ‘कुलगीत’ (संस्थान गीत) से की गई। इस वर्ष कुल 1,804 उपाधियाँ वितरित की गई, इनमें 912 स्नातक, 685 स्नातकोत्तर और 207 डॉक्टरेट उपाधियाँ शामिल हैं। समारोह के मुख्य अतिथि कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन डिएगो के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार खोसला रहे। जिन्होंने बतौर कुलपति प्रो. खोसला 40,000 छात्रों और कई नोबल विजेताओं वाले यूसी सैन डिएगो परिसर के सीईओ के रूप में कार्य किया। इसके साथ ही एंबेडेड सॉफ़्टवेयर, बुद्धिमान रोबोट सिस्टम और साइबर सुरक्षा में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है। कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि के रुप में सम्बोधित करते हुए कैलिफोर्निया सैन डिएगो विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रदीप के. खोसला ने कहा कि होनहार युवाओं को उनके ही चुने हुए रास्ते पर अग्रणी भूमिका निभाने तथा समाज की उन्नति हेतु मानव की स्थिति को सुधारने के लिए छात्रों को प्रेरित करने का आईआईटी रुड़की का एक लंबा इतिहास रहा है। कहा कि उन्हें हमेशा से विश्वभर के स्नातकों पर बहुत गर्व होता रहा है, लेकिन इस साल विशेष रूप से हो रहा है कि आप (स्नातकों) ने न केवल यह सिद्ध कर दिया है कि आप सांमजस्य स्थापित कर सकते हैं, बल्कि आप विपरीत परिस्थितियों में भी कामयाब हो सकते हैं।


संस्थान के अभिशासक परिषद के अध्यक्ष बीवीआर मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी ने मुख्य अतिथि, छात्रों व गणमान्य लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि मौजूदा महामारी को देखते हुए इस वर्ष भी दीक्षांत समारोह का आयोजन वर्चुअल मोड में किया गया। उन्होंने कहा कि समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विद्वान प्रो. प्रदीप खोसला हमारे बीच हैं। यह हमारे लिए हर्ष का विषय है। आज दीक्षांत समारोह में 1804 छात्रों को उपाधियाँ प्रदान की गयी। इनमें 912 स्नातक, 685 एम.टेक, एम.आर्क, एमबीए, एम.यू.आर.पी., एम.एस-सी. तथा 207 पी-एच.डी. शामिल हैं। उपाधियाँ प्राप्त करने वाले सभी छात्रों और सभी पुरस्कार विजेताओं को उन्होंने उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। साथ ही आशा जताई कि छात्रों ने आईआईटी रुड़की में जो वर्ष बिताए हैं, वे उनके एक क़ीमती स्मृति के रूप याद रहेंगे। उन्होंने छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल शैक्षणिक डिग्री प्राप्त करना ही नहीं है, बल्कि अपनी बुद्धि को निखारना, एक गौरवान्वित और एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में विकसित होना और अच्छे पेशेवरों, शोधकर्ताओं, उद्यमियों, शिक्षाविदों आदि के रूप में उभरना अधिक महत्वपूर्ण है। आने वाले वर्षों में संस्थान परिसर के भीतर अपने पूर्व छात्रों के रूप में उनका स्वागत करने के लिए हमेशा तत्पर रहेगा।
अभिशासक परिषद के अध्यक्ष बी.वी.आर. मोहन रेड्डी ने मानव इच्छाशक्ति के बल एवं अचूक चुनौतियों के लचीलेपन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब हम एक नए सामान्य जीवन में जी रहे हैं। जबकि विगत समय में कोविड -19 महामारी से मानवता ने अभूतपूर्व कठिनाइयों का सामना किया है एवं यह भी साबित कर दिया है कि इच्छाशक्ति और लचीलेपन के माध्यम से हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं, चाहे वह कितनी भी दुर्गम क्यों न हो। आज हम खोसला को अपने बीच पाकर स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जो सबसे कुशल शिक्षाविदों और संस्था निर्माताओं में से एक हैं। उनके नेतृत्व में, यूसी सैन डिएगो ने वंचित आबादी के लिए कॉलेज की पहुँच और सामर्थ्य का विस्तार किया। उन्होंने आगे कहा कि एनआईआरएफ 2021 रैंकिंग के अनुसार आईआईटी रुड़की इंजीनियरिंग संस्थानों की शीर्ष 10 सूची में अपना स्थान बनाए हुए है। वर्तमान में संस्थान के 23 शैक्षणिक विभागों में 500 से अधिक शैक्षणिक स्टॉफ और 8000 से अधिक छात्र हैं। कहा कि आईआईटी रुड़की भारत के सबसे बड़े तकनीकी संस्थानों में से एक है। हमने अंतरविषयी कार्यक्रमों के सृजन में काफी प्रगति की है। हमने कई पाठ्यक्रम शुरू किए हैं, जो आज की इस 21वीं सदी में अभियांत्रिकी शिक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये कार्यक्रम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, इंडस्ट्रियल डिजाइन, माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स और वी.एल.एस.आई. में हैं। समारोह में कुल 125 पदक (43 स्वर्ण सहित) तथा 12.45 लाख रुपये के नकद पुरस्कार 156 छात्रों में वितरित किए गए। दो नए स्वर्ण पदक विभाग – कपिल गर्ग स्वर्ण पदक विभाग तथा जी एम सिंघवी स्वर्ण पदक विभाग दानकर्ताओं द्वारा स्थापित किए गए। समारोह में 156 पुरस्कार विजेता थे, इनमें (40 महिलाएं, 116 पुरुष) शामिल रहे। इसके अलावा 101 पुरस्कार विजेता में स्नातक छात्र शामिल रहे तथा 55 पुरस्कार विजेता स्नातकोत्तर छात्र थे। (5 पीएच.डी छात्रों सहित)। कुल 125 पुरस्कारों में से 83 शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए, 26 परियोजना और शोध कार्य के लिए (सर्वश्रेष्ठ परियोजना पुरस्कार सहित), 5 पीएच.डी. थीसिस के लिए, 8 समग्र प्रदर्शन के लिए, 1 समाजसेवा के लिए (भारत के राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक), 1 सामुदायिक सेवा के लिए (केदारनाथ अग्रवाल, आईएसई मेमोरियल ट्रॉफी और नकद पुरस्कार) तथा 1 युवा नेतृत्व के लिए (डॉ. जय कृष्णा. स्वर्ण पदक) का वितरण किया गया। समारोह में अभिशासक परिषद एवं सीनेट के सदस्यों, संकाय सदस्यों, कर्मचारियों, उपाधियाँ प्राप्त करने छात्रों के परिजन समेत अनेक गणमान्य लोगों ने ऑनलाइन मोड में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

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