रुड़की। ( बबलू सैनी ) एक ओर जहां भाजपा सरकार भ्रष्टाचार का खात्म करने में लगी हुई हैं, वहीं सरकारी महकमों में इसकी जड़े बहुत गहरी हैं। जिनसे पार पाना आसान नहीं हैं। वैसे तो सभी महकमों में काम के एवज में आने वाले लोगों से पैसे लेना अधिकारियों और कर्मचारियों के बायें हाथ का खेल हैं। कोई भी कार्य बिना रिश्वत के होना संभव नहीं हैं। जो रिश्वत देने का विरोध करता हैं, तो उसके कागज को रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता हैं। यही नहीं मोटी-मोटी रिश्वत मांगी जाती हैं, इक्का-दुक्का मामले में ही भ्रष्टाचारी पकड़ में आता हैं। जिस प्रकार की कार्रवाई आज रुड़की तहसील में तैनात कानूनगो के खिलाफ की गई, उससे अन्य भ्रष्टाचारियों को सीख लेने की आवश्यकता हैं। उक्त कानूनगो सरकारी मुलाजिम हैं और सरकार से मोटा वेतन लेता हैं। उसकी तैनाती इसलिए की गई है कि वह जमीनी कार्यों को सही तरीके से निपटा सकें। लेकिन पैसे की भूख इन अधिकारियों को और अधिक होती हैं तथा अपने रिटायरमेंट से पहले ही वह वेतन से कई गुना अधिक रुपया बटौर कर तिजौरी भर लेते हैं ताकि आलीशान जीवन व्यतीत किया जा सके। अहम बात यह है कि जब जेएम कार्यालय में बैठते हैं, तो वह ऐसे लोगों पर शिकंजा क्यों नहीं कसते। उनकी इसी ढील के कारण आज रुड़की में भ्रष्टाचार का एक मामला उजागर हो पाया। तहसील में अपने कार्य से जाने वाले लोगों ने मीडिया से रुबरू होते हुए बताया कि सबसे अधिक लेन-देन तहसील में अवैध तरीके से होता हैं। अच्छा हुआ कि एक भ्रष्टाचारी तो पकड़ा गया और भी कई ऐसे अधिकारी और कर्मी हैं, जो पैसों के पीछे भागते हैं, वह भी जल्द ही पकड़ में आ सकते हैं। तहसील परिसर में सभी कार्यालयों में अक्सर कहीं कम तो कहीं अधिक भ्रष्टाचार चरम पर हैं। जनहित में इस पर लगाम लगनी चाहिए और सूबे के मुख्यमंत्री को भी इस ओर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता हैं। ताकि भ्रष्टाचार का समूल विनाश हो सके।