रुड़की।
वरिष्ठ समाजसेवी समीर त्यागी ने इस संवाददाता से बात करते हुए बताया कि विगत 10 अक्टूबर को उनके मोहनपुरा स्थित प्लाट पर (जिसका प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है) के मुख्य द्वार पर नगर निगम के नायब तहसीलदार (रिटायर्ड) प्रीतम सिंह, अधिशासी अभियंता रचना पायल द्वारा उनके विपक्षियों से साज कर करीब 30 मीटर दूर रखें यात्री शेड का आरसीसी निर्माण शुरू करा दिया गया। इस संबंध में प्लाट स्वामी समीर त्यागी द्वारा नगर निगम के अधिकारियों व महापौर गौरव गोयल को अवगत कराया गया ओर लिखित में भी शिकायत की गई।
इस पर नगर निगम की आयुक्त नूपुर वर्मा व सहायक आयुक्त चंद्रकांत भट्ट ने कहा कि शिकायत पर उक्त निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया है, जो निर्माण कार्य हुआ है, वह उसकी जांच करायेंगे। जबकि महापौर गौरव गोयल द्वारा उक्त निर्माण को यथावत रखने के औपचारिक आदेश भी दिये गये। लेकिन उन्होंने कोई ठोस निर्णय नही लिया। समीर त्यागी ने कहा कि महापौर गौरव गोयल और अधिशासी अभियंता रचना पायल ने सांठगांठ कर उक्त निर्माण कार्य को जबरदस्ती सुचारू कराते हुए उस पर सीसी का लेंटर तक डलवा दिया, जबकि इस संबंध में न तो पीडब्ल्यूडी और ना ही राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग से अनुमति (एनओसी) ली गई। उन्होंने कहा कि जब वह मुख्य नगर आयुक्त से मिले और उन्हें पूरे मामले कि जानकारी दी, तो उन्होंने उक्त निर्माण कार्य को ठेकेदार को निर्माण बंद करने के आदेश दिये और आरसीसी का लेंटर भी ध्वस्त करा दिया। साथ ही इस संबंध में अधिशासी अभियंता से रिपोर्ट भी मांगी।
वहीं एक सवाल के जवाब में समीर त्यागी ने कहा कि विगत बुधवार को नगर निगम में 54 कार्यों के ओपन टेंडर में पूरी तरह अधिकारियों ने पारदर्शिता बरती जिससे सरकारी धन की बचत भी हुई। उन्होंने कहा कि महापौर गौरव गोयल कमीशन ना मिलने के चलते अधिकारियों पर अपना जबरदस्ती दबाव बनाना चाहते हैं और यह टेंडर अपने चहेतों को दिलाना चाहते थे, जो अधिकारियों ने नही होने दिए। अधिकारियों ने यह टेंडर ओपन प्रक्रिया के माध्यम से खोलें। इससे बौखलाए महापौर गौरव गोयल ने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उन्हें ही भ्रष्टाचार के कटघरे में खड़ा करने का जुमला अलापना शुरू कर दिया। जबकि हकीकत यह है कि महापौर गौरव गोयल अपने ही वायदों से मुकरे हुए हैं। वह स्वयं चुनाव के दौरान उनके साथ थे। लेकिन वह सिर्फ और सिर्फ कमीशन को लेकर ही दिलचस्पी रखते हैं। उन्हें शहर के विकास से कोई लेना देना नही है। उन्होंने कहा था कि जब वह मेयर बनेंगे, तो सभी निर्माण कार्यों के संबंधित कागजात हिंदी में लोगों को वितरित किए जाएंगे, जहां कार्य होना है। लेकिन ऐसा आज तक नहीं हुआ। उनके यहां स्वयं एक इंटरलॉकिंग टाइल्स सड़क का निर्माण हुआ है, जिसके कार्य की संबंधी हिंदी कॉपी उन्हें तक उपलब्ध नहीं कराई गई। कहा कि महापौर गौरव गोयल स्वयं भ्रष्टाचार में आकंठ तक डूबे हुए हैं और अधिकारियों पर जबरदस्ती दबाव बनाकर उन्हें भ्रष्टाचार की दलदल में धकेलना चाहते हैं, जिसे अधिकारी नहीं करना चाहते और महापौर उन पर झूठे आरोप मढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रात्रि के प्रकरण में स्वयं महापौर ने ब्यान में कहा कि मुख्य नगर आयुक्त ने ही पार्षदों के चंगुल से बचाया था, तो ऐसे में मुख्य नगर आयुक्त समेत अन्य अधिकारियों से महापौर कैसे अपनी जान का खतरा बता सकते हैं। यह बड़ा सवाल है, जबकि क्षेत्र की जनता भी जानती है कि मेयर बोखलाए हुए हैं और खुद कमीशन के चक्कर में नगर निगम के विकास कार्यों में रोड़ा बने हुए हैं।