रुड़की। ( बबलू सैनी )
आज कांग्रेस ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष आशीष सैनी के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम/एसडीएम को एक ज्ञापन सौंपते हुए राज्य में ओबीसी वर्ग के हितों की रक्षा एवं भेदभाव के अन्याय को रोकने हेतु निर्देश जारी किये जाने की मांग की। उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से मांग की कि जातिगत जनगणना :- जातिय आधार पर जनगणना किए करने से प्रत्येक वर्ग की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से सही पहचान की जा सकेगी। प्रत्येक वर्ग को सही आंकड़ों के आधार पर आरक्षण एवं अन्य लाभ मिल सकेगा एवं सरकार के पास भी सटीक ब्यौरा होने के कारण निर्णय लेने में सरलता एवं उचित जानकारी के आधार कर योजनाओं का कियान्वयन किया जा सकेगा। क्रीमीलेयर: ओबीसी वर्ग के लिये आरक्षण एवं नौकरी में सरकार द्वारा लागू की गई कीमीलेयर की वार्षिक आय की सीमा आठ लाख प्रतिवर्ष निर्धारित की गई है, जबकि राज्य में यह वार्षिक आय की सीमा मात्र रु छ लाख प्रतिवर्ष तक घटा दी गई है। ओबीसी के हित में वार्षिक आय की सीमा हटायी जाय। उक्त सीमा में कृषि आय, सरकारी / अर्द्धसरकारी / निजी क्षेत्र के वेतन को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। पिछड़े वर्ग की रेजीमेंट: ओबीसी अहीर और गुजर रेजीमेंट के अतिरिक्त पिछड़ा वर्ग की अन्य जातियों की भी रेजीमेंट बनाई जानी चाहिए, क्योंकि देश की आजादी से लेकर देश के सभी युद्दों जैसे 1962, 1965, 1971, रेजांगला कारगिल, संसद हमला, कश्मीर, उत्तर पूर्व एवं अन्य सभी युद्धों में ओबीसी वर्ग का बड़ा ही योगदान रहा है। ओबीसी मंत्रालय – ओबीसी वर्ग के उत्थान एवं लक्ष्यगत विकास के लिए अलग से ओबीसी मंत्रालय बनाया जाना चाहिए। उक्त मंत्रालय के मुख्य कार्य ओबीसी विभाग के लिए विशेष बजट निर्धारित हो। जिसे जातिगत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर खर्च किया जा सके। ओबीसी को कोलोजियम प्रणाली में शामिल किया जाय: उच्च न्यायालय एवं अन्य न्याय पालिकाओं में ओबीसी वर्ग की भागीदारी नगण्य है। जब तक न्यायपालिकाओं में ओबीसी वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए, जिससे न्याय में बराबरी की संवैधानिक अवधारणा को स्थापित किया जा सके। निजी क्षेत्र में आरक्षण:- देश की जनसंख्या की आधी से अधिक आबादी आज ओबीसी वर्ग से आती है। ठेके पर निजी क्षेत्र के रोजगार कर परम्परा को समाप्त कर ओबीसी वर्ग को योग्यता के आधार पर 50 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया जाना चाहिए। ओबीसी वर्ग की महिलाओं को अलग आरक्षण: देश में किसी भी क्षेत्र में महिलाओं को मिलने वाले आरक्षण में ओबीसी महिलाओं को भी आरक्षण मिलना चाहिए। शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति /आर्थिक सहायता:- ओबीसी वर्ग को सामान्य शिक्षा, उच्च शिक्षा एव व्यावसायिक शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जानी चाहिए। निजीकरण बन्द किया जाए :- भाजपा सरकार द्वारा पूंजीपतियों के दबाव में सरकारी उपक्रमों एवं संस्थाओं का निजीकरण, आरक्षित वर्ग पर किया जा रहा अन्याय है। देश में कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा के लिए निजीकरण पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि सरकार अपने अधिकारियों को ओबीसी वर्ग के हितों की रक्षा एवं भेदभाव के अन्याय को रोकने हेतु निर्देश जारी करे। साथ ही हमारी उपरोक्त उल्लिखित मांगों को पूरा किया जाए, ताकि ओबीसी वर्ग सरकार के अन्याय से राहत की सांस ले सके।

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