रुड़की। ( बबलू सैनी )
प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग की हालत कितनी चुस्त-दुरुस्त हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रुड़की जैसी शिक्षा नगरी के राजकीय संयुक्त चिकित्सालय में पिछले 2 दिन से एक मरीज उपचार के लिए तरस रहा है और अस्पताल के मुख्य द्वार पर ही वह लावारिस हालत में पड़ा हुआ है। इस संबंध में ना तो किसी कर्मचारी और ना ही किसी चिकित्सक की निगाह पड़ी। हैरान करने वाली बात यह है कि यदि इस तरह का मामला अस्पताल परिसर के अंदर हो तो, ऐसे में चिकित्सकों की अनदेखी इतनी नागंवार कैसे गुजरती है। क्योंकि यहां लगभग हजारों लोगों का आना जाना लगा रहता है। बावजूद इसके उक्त व्यक्ति को उपचार न मिलना सरकार की कार्यशैली, मंशा और चिकित्सकों की कार्यशैली को भी संदेह के घेरे में खड़ा करता है। सबसे बड़ी दिलचस्प बात यह है कि इस संबंध में जब एक पत्रकार ने अधिकारियों को अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि वह उन्हें स्वयं एडमिट करा दें। उन्होंने इस मामले को लेकर कोई सजगता भी नहीं दिखाई। वहीं सीएमओ डॉ. खगेंद्र कुमार ने तो बड़ी बेशर्मी से यह तक कह दिया कि वह इस जिम्मेदारी के लिए कुर्सी पर नहीं बैठे हैं कि किसी भी व्यक्ति को उठाकर अस्पताल में भर्ती कराए। उन्होंने साफ कहा कि यदि आप भर्ती करा सकते हो तो करा दो अन्यथा वह एडमिट नहीं करा सकते। सीएमओ के अनैतिकता वाली जिम्मेदारी को देखकर वास्तव में उन पर शासन द्वारा कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि अपने पद की गरिमा के अनुसार उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं करना आता हो, ऐसे व्यक्ति को भला जिले की जिम्मेदारी कैसे दे दी गई। उन्हें अभी वास्तव में ट्रेनिंग की जरूरत है। शासन प्रशासन ऐसे अधिकारी को जिम्मेदारी का पद बांटे, जो वास्तव में आम जनता को राहत पहुंचाने का काम करें ना कि उनके लिए एक मुसीबत।

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