रुड़की। ( बबलू सैनी )
मोबाइल टेलीकॉम कंपनी के गांव/देहात क्षेत्र में लगने वाले टॉवरों का विरोध अक्सर देखने में आता है, लेकिन इसके बढ़ते प्रभाव को लेकर जहां लोग पैसों के लालच में इन्हें आबादी के निकट या बीच में लगवाने की कोशिश करते हैं, तो वही कुछ लोग इनका विरोध भी करते हैं ताकि मोबाइल टॉवर के रेडिएशन से मानव जीवन व पक्षियों को कोई हानि ना हो।
ऐसा ही एक मामला मजाहिदपुर सतीवाला के बंदरजूड गांव का है, जहां सैकड़ों ग्रामीण पिछले कई महीनों से मोबाइल टॉवर का विरोध करते आ रहे हैं। विगत 1 सितंबर को ग्रामीणों ने एकत्र होकर जिलाधिकारी को गांव में लगने वाले मोबाइल टॉवर को हटवाने की शिकायत की थी, जिस पर डीएम ने तत्काल एसडीम भगवानपुर को उचित कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया था। इसके अलावा विधायक उमेश कुमार व विधायक ममता राकेश व अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी मोबाइल टॉवर का विरोध करते हुए उसे हटाने की ग्रामीणों की मांग का समर्थन किया था। ग्रामीणों का आरोप है कि नूरा पुत्र नियाज के घर के निकट बस्ती के बीच में कुछ लोगों द्वारा एक मोबाइल टॉवर लगवाया जा रहा है। इस टॉवर के कारण संपूर्ण ग्रामीणों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। यहां तक कि गर्भवती महिलाएं व बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। इससे पहले भी गांव में एक टॉवर लगा है, जिसके कारण एक महिला के 2 बच्चे डिलीवरी से पहले ही मर चुके, इसका मुख्य कारण भी उक्त पीड़िता ने मोबाइल टॉवर को ही बताया। साथ ही बताया कि कुछ लोग दबंगई दिखाते हुए इसे जबरन बस्ती में लगवाने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि उनका आरोप है कि यह टॉवर बस्ती से हटाकर लगाया जाये। साथ ही बताया कि उक्त टॉवर को लेकर वन विभाग की भी एनओसी नहीं है और न ही पूरा नक्शा पास है। साथ ही इस टॉवर को लगवाने का समर्थन करने वाले लोगों के हस्ताक्षर व एफिडेविट भी झूठे है। जिन लोगों के यह कागज दिए गये, उन्हें इसकी जानकारी तक नही है। उक्त ग्रामीण एकत्र होकर मोबाइल टॉवर लगवाने वाले लोगों व कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी में है। ग्रामीणो ने बताया कि इससे पूर्व भी उनके द्वारा 2 जुलाई, 12 जून, 4 जुलाई व 15 जुलाई को एसडीएम भगवानपुर को प्रार्थना पत्र दिए कि उक्त टॉवर को अन्यत्र स्थान पर लगवाया जाए, लेकिन उन्होंने ग्रामीणों की कोई बात नहीं सुनी, जिसके बाद उन्होंने डीएम से शिकायत की। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उक्त 5G मोबाइल कंपनी का टॉवर राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा से करीब 500 मीटर दूरी पर है। इस टॉवर के लगने से पक्षियों के संवर्धन को हानि होगी और उन्हें भी नुकसान होगा। क्योंकि मोबाइल टॉवर हाई रेडिएशन का है। इसकी तरंगे भी बेहद हानिकारक है। सभी ग्रामीणों ने प्रशासन से उक्त टावर को हटाए जाने की मांग की। साथ ही उनकी मांगों के समर्थन में विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी प्रशासनिक अधिकारियों को फोन किए और टॉवर हटवाए जाने को कहा। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि एसडीएम भगवानपुर की हठधर्मिता के कारण उक्त टॉवर ज्यों का त्यों खड़ा है और डीएम के आदेश होने के बावजूद भी उन्होंने कोई संज्ञान नहीं लिया। जब इस संबंध में फोन पर एसडीएम वैभव गुप्ता से वार्ता की गई, तो उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश अनुसार किसी भी टेलीकॉम कंपनी के मोबाइल टॉवर को लगाने के दौरान स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश अनुसार कोई भी प्रशासनिक इकाई मोबाइल टावर के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करेगी, क्योंकि यदि ऐसा होगा, तो मोबाइल टावर नहीं लग पाएंगे और टेलीकॉम कंपनियों को नुकसान होगा। साथ ही कहा कि जो बस्ती में टॉवर लगाने का मसला है, अब ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि इसे बस्ती से हटाकर लगाया जाए। उन्होंने कहा कि जहां टावर लग रहा है, वहां के लोगों ने एफिडेविट व हस्ताक्षर युक्त प्रार्थना पत्र कंपनी के माध्यम से उन्हें सौंपा है। जिसके आधार पर ही मोबाइल टावर का कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि यदि ग्रामीणों को इसमें कोई आपत्ति है, तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जाकर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। साथ ही बताया कि यदि ग्रामीणों के फर्जी हस्ताक्षर युक्त एफिडेविट है, तो वह कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराये। कुल मिलाकर ग्रामीणों की यह मांग कब तक पूरी होगी, यह देखने वाली बात होगी।

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