रुड़की। ( आयुष गुप्ता )
आवास विकास कॉलोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में पंचम दिवस की कथा में आचार्य रमेश सेमवाल ने कहा कि देवराज इंद्र को अहंकार हो गया था कि मैं वर्षा कराता हूं, मेरी शक्ति के आगे संसार में कोई कुछ नहीं है। बृजवासी जब नंद बाबा के साथ इंद्र पूजा की तैयारी कर रहे थे, तो भगवान ने इंद्र पूजा से इंकार कर दिया। तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि हमें पेड़ पौधों की, पर्वतों की, गाय की पूजा करनी चाहिए, जिससे हमारा पर्यावरण शुद्ध रहेगा, गौ माता की पूजा करेंगे, सेवा करेंगे, तो शुद्ध दूध प्राप्त होगा। हमें इंद्र की पूजा नहीं करनी चाहिए ओर फिर सभी ब्रजवासियों ने गोवर्धन पूजा की। यह देख देवराज इंद्र नाराज हो गये और उन्होंने भयंकर वर्षा शुरू कर दी, तो ब्रजवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए भगवान ने 7 दिन तक अपनी एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाये रखा। भयंकर घनघोर वर्षा से ब्रज वासियों की रक्षा की। सबको पता लग गया कि भगवान श्री कृष्ण साक्षात परमात्मा का दिव्य स्वरुप है। इंद्र भगवान की शरण में आया ओर इंद्र ने भगवान से क्षमा याचना की तथा कहा परमात्मा श्रीकृष्ण मुझे क्षमा करो, भगवान ने इंद्र को क्षमादान दिया। हमें भी निरंतर भगवान की भक्ति करनी चाहिए। भगवान की भक्ति करने से शक्ति मिलती है। अहंकार समाप्त होता है, कलयुग में जहां अशांति है, वहां भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करने से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। शांति ओर शक्ति प्राप्त होती है। कलयुग में भगवान का नाम और भगवान की भक्ति करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। गौ माता की विशेष रूप से सेवा करनी चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने गायों को चराया, गौ सेवा की, प्रभु श्री राम ने भी गौ सेवा की, इसलिए निरंतर गोसेवा जरूर करनी चाहिए। गोवर्धन लीला का भी यही संदेश है कि पेड़ों ओर पर्वतों तथा गौ माता की निरंतर सेवा करनी चाहिए, जिससे संसार में शांति बनी रहे। कथा में संदीप मित्तल, राकेश मित्तल, मेयर गौरव गोयल, आचार्य नरेश शास्त्री, संदीप शास्त्री, मुकेश शास्त्री, सुलक्षणा सेमवाल, चित्रा गोयल, राधा भटनागर, चिराग मित्तल आदि मौजूद रहे।
