रुड़की। ( बबलू सैनी / भूपेंद्र सिंह )
खानपुर विधानसभा क्षेत्र से आप पार्टी प्रत्याशी मनोरमा त्यागी का जगह-जगह विरोध शुरू हो गया है। वह पैराशूट प्रत्याशी बताई गई है। यहां की जनता क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों पर विश्वास करती है, जो लोग उनके सुख-दुख में हमेशा खड़े रहते हैं। ऐसे लोगों को ही यहां से चुनाव में जीताकर भेजती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि आप प्रत्याशी मनोरमा त्यागी कहां की रहने वाली हैं, उन्हें इसकी भी कोई जानकारी नहीं है और ना ही उन्हें क्षेत्र के समीकरण की जानकारी है। यही नहीं इस विधानसभा क्षेत्र में कितने गांव आते हैं, उनके नाम तक नहीं जानती। वह आप पार्टी से टिकट लेकर यहां जरूर गई हैं, वह भी धनबल के सहारे, लेकिन उनका चुनाव आगे नहीं बढ़ पा रहा है। क्योंकि क्षेत्र में भाजपा, कांग्रेस व बसपा का वर्चस्व है। यह तीनों दल ही एक दूसरे को पटखनी देने के लिए आगे पीछे हो रहे हैं, जबकि इस चुनाव में मनोरमा कहीं भी टिकती नजर नहीं आ रही है। कई जगह उन्हें लोगों के कोप का भाजन भी बनना पड़ा और विरोध के चलते मायूस लौटना पड़ा। दरअसल सच्चाई यह भी है कि उत्तराखंड में आप पार्टी का कोई जनाधार नहीं है। न ही अब से पहले जो लोग चुनाव लड़ने इस पार्टी से आए हैं, कभी दिखाई दिए। ऐसे में इन पर जनता कैसे विश्वास करें? यह सवाल रह-रह कर लोगों की जुबान पर उठ रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र में लोगों के सामने कई बड़ी विषम समस्याएं हैं। बड़े-बड़े दिग्गज भी इनका कोई निराकरण आज तक नहीं कर पाए। बताया गया है कि इस सीट पर कई बड़े नेताओं की एंट्री हो चुकी है और वह चुनाव में तेजी के साथ अपना प्रचार प्रसार करने में लगे हैं। ऐसे में मनोरमा उनके सामने कहीं भी खड़ी नजर नहीं आती। लोगों का यह भी कहना है कि दिल्ली में भी केजरीवाल केवल अपना भला कर रहे हैं, आम जनता का नहीं। ऐसे में हम उत्तराखंड में आप पार्टी के लोगों को क्यों वोट दें, उनमें क्या खूबी है, केवल गारंटी कार्ड पर वोट नहीं मिलते। यहां के लोग पढ़े लिखे हैं और अपना अच्छा बुरा जानते हैं, जो स्थानीय प्रत्याशी हैं उन्हीं पर यहां की जनता दांव लगाएगी, पैराशूट पर नहीं। चर्चा है कि लोगों के विरोध के कारण आप पार्टी प्रत्याशी की नींद हराम हो गई है। जिस प्रकार से उन्हें जन समर्थन नहीं मिल रहा है। लगता है कि उनकी जमानत भी जब्त हो सकती है। फिलहाल तो इस सीट पर भाजपा, निर्दलीय उम्मीदवार उमेश कुमार व रविंद्र पनियाला के बीच ही चुनाव त्रिकोणीय हो रहा है। अब लोग चटकारे ले रहे हैं कि मनोरमा बहन जी जैसी आई थी, ऐसे ही खाली हाथ जाएंगी।
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