रुड़की।
भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि अब इस पर पार पाना बेहद मुश्किल हैं। सरकार कोई भी हो, लेकिन भ्रष्टाचार का खात्मा करना टेढ़ी खीर बना हुआ हैं।
बताया गया है कि रुड़की में आबकारी इंस्पेक्टर मानवेन्द्र सिंह पंवार द्वारा शराब की दुकानों में गडबडी बताकर उन्हें निरस्त करने के नाम पर एक शराब ठेकेदार से 50 हजार की रिश्वत मांगी गई।  साथ ही इस घटना के पूरे प्रकरण की जानकारी ठेकेदार द्वारा विजीलेंस अधिकारियों को देहरादून में दी गई और तय समय पर विजीलेंस की टीम आज रुड़की सिविल लाईन स्थित जादूगर रोड़ पर एक मकान के सामने शादी वर्दी में आकर खड़ी हो गई। तय कार्यक्रम के अनुसार शराब कारोबारी मोहन रावत रिश्वत की रकम लेकर आबकारी इंस्पेक्टर मानवेन्द्र सिंह पंवार के आवास पर पहंुचा। चूंकि उसे पैसे देने के लिए घर पर बुलाया गया था, जैसे ही उसने 35 हजार रुपये आबकारी इंस्पेक्टर को सौंपे, तभी विजीलेंस की टीम ने उन्हें धर दबोचा। इस दौरान टीम ने घर में रखे 6 लाख 95 हजार रुपये भी बरामद किये। इसके सम्बन्ध में आबकारी निरीक्षक कोई जवाब नहीं दे पाये, कि यह रकम वह कहां से लाये थे। बाद में लिखा-पढ़ी कर रिश्वतखोर इंस्पेक्टर को टीम अपने साथ देहरादून ले गई। माना जा रहा है कि कल (आज) रविवार को उन्हें कोर्ट में पेश कर सलाखों के पीछे भेज दिया जायेगा। इस घटना का पता जब शहर में लोगों को लगा, तो सनसनी पफैल गई और आबकारी महकमें के अधिकारी और कर्मी एक-दूसरे का मुंह ताकते हुए देखे गये। वहीं एक ठेकेदार ने बताया कि पिछले वर्ष मोहन सिंह रावत की नारसन में शराब की दुकान थी। जिस पर वह मिलावटी शराब बना रहे थे और सूचना मिलने पर आबकारी निरीक्षक मानवेन्द्र सिंह पंवार ने वहां छापामार कार्रवाई कर उसे सीज कर दिया था। तभी से वह आबकारी इंस्पेक्टर से रंजिश रख रहा था और इसी के चलते जान-बूझकर आबकारी निरीक्षक को फंसाया गया। अब क्या सही और क्या गलत हैं? यह तो पुलिस जांच के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन फिलहाल तो मानवेन्द्र सिंह पंवार द्वारा अपने घर पर रिश्वत लेने का जुर्म किया गया, उसकी सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी।
रुड़की शहर में यह पहला मौका नहीं हैं, जब कोई अधिकारी रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पगड़ा गया हो, इससे पूर्व भी कई विभागों मंे रिश्वतखोरी का प्रचलन देखा जा चुका हैं। अभी हाल ही में विजीलेंस टीम ने कलियर दरगाह प्रबन्धक को दस हजार की रिश्वत के साथ पकड़ा था। इससे पूर्व भी पीडब्ल्यूडी विभाग के एक अधिकारी व ब्लॉक में तैनात एक चिकित्सक तथा एक लेखपाल को भी रिश्वत लेते हुए पकड़ा जा चुका हैं। रिश्वतखोरी घुन की तरह सरकारी महकमों में लगी हुई हैं। इस पर लगाम कब लगेगी? यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा।

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