रुड़की।  ( आयुष गुप्ता ) सोमवार को रुड़की के घने बाजार के बीच हुई घटना में चार युवकों की दर्दनाक मौत का कौन जिम्मेदार हैं? यह सवाल रह-रहकर उठ रहा है। एक ओर सरकार लोगों के जीवन बचाने को लेकर अनेक अभियान चला रही हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर इस प्रकार की घटनाएं यदा-कदा सामने आती हैं। जिससे अधिकारी कोई सबक नहीं लेते। पटाखा व्यापारी आलोक जिंदल का गोदाम भीड़भाड़ वाले इलाके में बना हैं। ऐसे में यहां पटाखे बेचने व रखने अनुमति शासन- प्रशासन के किस अधिकारी द्वारा किन शर्तों पर दी गई, इसकी भी जांच होना नितांत आवश्यक हैं। क्योंकि पटाखे ज्वलनशील होते हैं और जरा सी चिंगारी के कारण बड़ी घटनाएं हो जाती हैं। इस प्रकार के गोदाम बस्ती से दूर किसी खुले स्थान में होने चाहिए। जहां आस-पास कोई मकान न हो, लेकिन यहां तो बाजार के बीच में ही पटाखों का भारी गोलमाल चल रहा था। जरा सी चिंगारी ने घर के चार चिराग बुझा दिये। इस घटना में जो भी जिम्मेदार लोग हैं, उनके खिलाफ शासन-प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कई अन्य ऐसे व्यापारी भी हैं, जो भीड़भाड़ वाली जगहों पर ही शहर में पटाखे बेच रहे हैं। उनके पास लाईसेंस हैं, तो वह किस आधार पर दिया गया। इसकी भी जांच होनी चाहिए। जरा सी लापरवाही के कारण ही ऐसे हादसे होते हैं। लेकिन शहर मं तैनात विभिन्न विभागों के कर्मी मिलीभगत के चलते ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते। बल्कि अपना उल्लू सीधा करने का काम करते हैं। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता हैं और शासन-प्रशासन भी घटना होने के बाद ही नींद से जागता हैं और कुछ दिन के बाद फिर से पटाखे आदि के कार्य धडल्ले से बेचे व खरीदे जाने लगते हैं और अधिकारी भी अपने कार्यों में मशगूल हो जाते हैं, लेकिन जब ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति होती हैं, तो अधिकारियों के कान खड़े होते हैं। इस मामले में गोदाम मालिक के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई हो ओर सम्बन्धित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की भी नकेल कसी जाये।

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