रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) मंगलौर में करीब 5 वर्ष पूर्व गंगनहर पर बना नव-निर्मित पुल बुरी तरह क्षतिग्रिस्त हो गया हैं। इस मामले में निर्माणाधीन कंपनी की कार्यशैली पर सवालियां निशान लग रहा है। इस संबंध में क्षेत्र के लेागों ने बताया कि एक ओर जहां भाजपा सरकार पुलों के रख-रखाव को लेकर बेहद गंभीर हैं, वहीं एनएचएआई के अधिकारियों द्वारा ठेकेदार से मिलीभगत कर पुल निर्माण में ही भ्रष्टाचार कर दिया गया। यह राजमार्ग दिल्ली, देहरादून व हरिद्वार के लिए संचालित होता हैं और सभी वाहन गंगनहर के इसी पुल से होकर गुजरते हैं। घटिया सामग्री से बने पुल में कई स्थानों पर दरार पड़ गई हैं तथा बीच सड़क से भी बड़ा हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया हैं। इसकी जानकारी मिलने पर विभाग के अधिकारियों के कान खड़े हुये। क्योंकि नये पुल का जर्जर स्थिति में होना और यदि यहां कोई बड़ी घटना हो जाती, तो इसका जिम्मेदार कौन होता, यह सवाल भी रह-रहकर उठ रहा हैं। इस पुल के निर्माण में सरकारी ध्न की बंदरबांट की गई।
यही कारण है कि कुछ वर्षों में ही पुल व सड़क की स्थिति कमजोर हो गई। पिछले दिनों गुजरात में भी एक झुला पुल टूटने के कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी, इस मामले में कई लोग सलाखांे के पीछे पहंुच चुके हैं और स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग किया गया, यही कारण है कि पुल पर बनी यह सड़क कईस्थानों से बुरी तरह टूट गई। भाजपा सरकार को चाहिए कि उक्त पुल व सड़क निर्माण करने वाली एजेंसी के खिलाफ जांच कर कठोर कार्रवाई अमल में लाये ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति लोगों के जीवन से खिलवाड़ न कर सके। दरअसल पुल व सड़क निर्माण करने वाले अधिकतर ठेकेदार भ्रष्ट अधिकारियों से मिलकर कमजोर मैटेरियल से सड़कों व पुलों का निर्माण करते हैं, जो अधिक दिन नहीं चल पाते और आपस में सरकारी पैसे की बंदरबांट कर लेते हैं। इस मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार भ्रष्टाचार अधिकारियों व ठैकेदार के खिलाफ क्या कार्रवाई करती हैं। यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा। वहीं इस संबंध में जब एनएचएआई के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप गुंसाई से वार्ता की गई, तो उन्होंने बताया कि वह छुट्टी पर चल रहे हैं।