रुड़की। ( बबलू  सैनी )
आगामी 25-26 दिसंबर को भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्षों की हाईकमान द्वारा घोषणा होनी है। इसे लेकर जिलाध्यक्ष पद के कई दावेदारों ने अपने ताल ठोकी हुई है। ये ही नहीं वह अपने पक्ष के लिए हाईकमान तक भी चक्कर लगा रहे हैं। चर्चाओं के अनुसार इनमें पहला नाम गौरव कौशिक का है, जो जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में आगे बताए जा रहे हैं। अपने प्रतिद्वंदियों की दौड़ में आगे होने के कारण गौरव कौशिक अपने को युवा मोर्चा का जिलाध्यक्ष लगभग फाइनल मानकर चल रहे है। जबकि इनके अलावा भी अन्य दावेदार हाईकमान तक चक्कर लगा रहे हैं और अपने को जिलाध्यक्ष पद पर मजबूत बता रहे है। लेकिन युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष पद पर गौरव कौशिक के फाइनल माने जाने की चर्चा से अफरा तफरी भी मची हुई है। क्योंकि वह राजनीतिक पहुंच के सहारे आगे बढ़ने की उम्मीद देख रहे हैं। वही सागर गोयल भी चर्चाओं में है, उनके नाम पर भी हाईकमान मुहर लगा सकता है। क्योंकि वह जिलाध्यक्ष रह चुके है।
बहरहाल कुछ भी हो, जिस तरह से गौरव कौशिक, सागर गोयल, गौरव त्यागी, गोविंद पाल, दुष्यंत मुंडलाना, शोभित चौधरी व अर्जुन सिंह के बीच युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष पद को लेकर कांटे की टक्कर बनी हुई है। अब हाईकमान किसके नाम पर मुहर लगाएगा, यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा।
अब एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर हाईकमान किस पैनल के तहत इन दावेदारों में से युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति करेगा। क्योंकि इनमें एकाएक को छोड़कर किसी के पास राजनीति का लंबा अनुभव नहीं है। इनमें कुछ दावेदार जमीन से जुड़े हुए हैं और उन्हें लंबा अनुभव भी है तथा युवाओं के बीच सक्रिय भागीदारी में भी है जबकि कुछ दावेदार सिर्फ अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते अपने को जिलाध्यक्ष बनने के रूप में देख रहे हैं। क्योंकि उनका धरातल पर आधार बेहद कम है और इसी कारण हाईकमान के पैनल में यह फिट आ सकेंगे या नही, यह भी देखने वाली बात होगी। हाईकमान को यह भी देखना है कि युवा वर्ग के बीच में लोकप्रिय दावेदार कौन है। ऐसे में राजनीतिक सिफारिश पर जिलाध्यक्ष पद का चयन करना अन्य दावेदारों के लिए भी बड़ा झटका होगा। क्योंकि राजनीति के सहारे ऐसे व्यक्ति पद तक तो पहुँच सकते है, लेकिन जनता के बीच में मजबूत पकड़ बनाकर रखना किसी चुनोती से कम नही है। क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव भी हैं और निकाय चुनाव भी। इनमें युवा मोर्चा की भागीदारी अहम होती है। यदि हाईकमान मजबूत दावेदार पर अपना दांव खेलता है तो इसका लाभ संगठन को चुनाव में भी मिलेगा। कुल मिलाकर जिस तरह से जिलाध्यक्ष पद के दावेदार हाईकमान तक दौड़ लगा रहे हैं उनमें से किसे नियुक्ति मिलेगी। यह देखने वाली बात होगी। संगठन इस बात पर भी मंथन करेगा कि उक्त दावेदार हाल फिलहाल में किसी कार्यकारिणी में पदाधिकारी तो नहीं है। क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो उस दावेदार की कम ही संभावना है। क्योंकि दो दो जगह पदाधिकारी बनना संगठन में भी विरोध के सुर बढ़ा सकता है। बहरहाल कुछ भी हो, इन सभी दावेदारों में युवा जिला अध्यक्ष पद को लेकर एक-दूसरे में काफी टक्कर चल रही है। ऐसे में कौन किस पर भारी पड़ेगा, यह 25-26 दिसंबर को फाइनल हो जाएगा।

By Admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share