रुड़की। ( आयुष गुप्ता ) इकबालपुर मिल प्रबन्धन द्वारा किसानों का ‘उंट के मुंह में जीरा’ जैसा गन्ने का भुगतान किया गया। इसे लेकर क्षेत्रीय किसान बेहद नाराज हैं। क्षेत्र के किसानों ने बताया कि इकबालपुर मिल पर पिछले वर्ष का 7 करोड रुपये बकाया चल रहा हैं। जिसमें केवल दो करोड़ रुपये का भुगतान दिया गया। इस सत्र में अभी तक मिल द्वारा छः लाख कुंतल से अधिक गन्ने की पेराई कर ली गई, जिसका भुगतान करीब 20 करोड से उपर हैं। इसमंे मिल द्वारा पांच करोड़ 34 लाख का भुगतान दिया गया। किसानों ने कहा कि इस सत्र का अन्य चीनी मिलें लगातार भुगतान कर रही हैं। इकबालपुर मिल इसमंे भी पिछड़ रहा हैं। पिछले वर्ष का पूरा भुगतान नहीं किया गया। जो बड़ी चिंता का विषय हैं। स्थानीय किसानों ने कहा कि वर्ष 2017-18 का शुगर मिल पर 7 करोड़, 2018-19 का 108 करोड़ का भुगतान अभी भी बकाया चल रहा है। इसके साथ ही हरियाणा के किसानों का भी 34 करोड़ रुपये के लगभग भुगतान हैं। वर्ष 2020 में किसानों का भुगतान न करने के कारण उनकी शिकायत पर हाईकोर्ट द्वारा चीनी बेचकर गन्ना भुगतान करने के आदेश दिये गये थे, जिस पर डीएम व गन्ना विभाग का एक संयुक्त एसक्रो खाता खोला गया और उसी के माध्यम से किसानों का भुगतान होता हैं। स्थानीय किसान को गेंहू की बुआई करनी हैं, इसलिए वह मजबूरी में मिल को गन्ना दे रहे हैं। इस उधार में भी स्थानीय किसानों को पर्ची नहीं और सेंटर पर पर्चियों की भरमार हैं। मिल के गोदामों में चीनी की गिनती पिछले चार सालों से लगातार चल रही हैं, जो आज तक भी पूरी नहीं हुई। यह कार्रवाई भी संदेह के घेरे में है। ऐसा लगता है कि मिल मालिकों द्वारा चीनी को इससे पूर्व में ही दूसरे रास्ते से बेच दिया गया। अब चीनी भी गोदाम में पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं। किसानों ने कहा कि मिल द्वारा उनका भुगतान न करने के कारण ही गन्ना मंत्री से शिकायत कर 17 सेंटर खुलवाये गये हैं, अब वह अपनी मर्जी से अपने गन्ने की सप्लाई करेंगे। उनका विश्वास शुगर मिल से उठ गया हैं। किसानों को यह भी चिंता है। फिलहाल तो, एसडीएम व गन्ना विभाग की निगरानी में वीडियो ग्राफी होकर ही चीनी बाहर निकलती हैं। भाजपा सरकार सत्ता में हैं और सूबे के मुख्यमंत्री पूरी ईमानदारी के साथ किसान, मजदूर हितों के लिए काम कर रहे हैं। अगर सरकार ने इस मामले की जांच कराई, तो चीनी की घपलेबाजी से भी पर्दा उठ सकेगा। फिलहाल तो किसानों में मिल प्रबन्धन के खिलाफ भारी आक्रोश पनप रहा हैं। किसानों का कहना है कि आगामी समय में लोकसभा के चुनाव भी हैं। सरकार को प्राथमकिता के साथ आगे आकर किसानों का भुगतान कराना चाहिए।

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